सिन्दूर ऑपरेशन: भारतीय सेना का गर्व और सनातन संस्कृति की मर्यादा पर सवाल

🔥 परिचय

हाल ही में भारतीय सेना द्वारा किए गए “सिन्दूर ऑपरेशन” ने पूरे देश को गौरवान्वित किया है। यह ऑपरेशन पहलगाम आतंकी हमले में उजड़ी बहनों के सिन्दूर का बदला था, जिसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल हमला कर सैकड़ों आतंकियों को मार गिराया। यह ना केवल एक सैन्य कार्रवाई थी, बल्कि हर भारतीय के आत्मसम्मान और हमारी मातृशक्ति के सम्मान की पुनर्प्राप्ति भी थी।

🇮🇳 सेना ही देश का प्रथम अभिभावक है

हमारे देश की सेना केवल सीमाओं की रक्षक नहीं, बल्कि हर नागरिक की सुरक्षा की प्रथम गारंटी है। जब देश की बेटियों का सिन्दूर उजड़ता है, तो हमारी सेना उसके सम्मान की रक्षा करने हेतु सीमा पार जाकर दुश्मन को करारा जवाब देती है। “सिन्दूर ऑपरेशन” इस भावना का प्रतीक बन चुका है।

😔 भाजपा की सिन्दूर वितरण योजना पर उठते सवाल

जहाँ एक ओर सेना का यह अभियान पूरे देश में सम्मान का विषय बना, वहीं भाजपा द्वारा घर-घर सिन्दूर वितरित करने की घोषणा ने कई सनातन अनुयायियों को असहज कर दिया। सनातन संस्कृति में सिन्दूर का अत्यंत पवित्र स्थान है — यह केवल पति द्वारा पत्नी को या एक महिला द्वारा दूसरी महिला को ही प्रदान किया जा सकता है। किसी राजनीतिक उद्देश्य से इसका वितरण करना धर्म का राजनीतिकरण करना है, जो सनातन परंपराओं के अनुरूप नहीं है।

🕉️ भगवा परिषद का रुख

भगवा परिषद ने स्पष्ट रूप से इस राजनीतिक प्रोपेगेंडा का विरोध किया है। संगठन के प्रवक्ता श्री संतोष कुमार उपाध्याय का कहना है:

“हम प्रधानमंत्री और सेना के आभारी हैं जिन्होंने उजड़े सिन्दूर का मोल समझा। परन्तु हम भाजपा की उस नीति का विरोध करते हैं जिसमें सिन्दूर जैसे पवित्र प्रतीक का राजनीतिक लाभ के लिए प्रयोग किया जा रहा है।”

🙏 सनातन धर्म की मर्यादा का पालन ज़रूरी

हिंदू संस्कृति में हर प्रतीक की एक मर्यादा होती है। जब कोई दल “सनातन धर्म” की बात करता है, तो उसे यह भी समझना चाहिए कि उन प्रतीकों के पीछे भावनाएं और परंपराएं जुड़ी होती हैं। सिन्दूर केवल एक रंग नहीं, एक विवाहिता स्त्री की पहचान, उसके सौभाग्य और सुरक्षा का प्रतीक है।

🔚 निष्कर्ष

भारतीय सेना का “सिन्दूर ऑपरेशन” भारत के गौरव और सामर्थ्य का परिचायक है। हमें अपनी सेना पर गर्व है और हम हर आतंकी हमले का जवाब इस प्रकार देते रहेंगे। लेकिन राजनीतिक दलों को सनातन धर्म के प्रतीकों का सम्मान करना चाहिए और उन्हें वोट बैंक की राजनीति से दूर रखना चाहिए।



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