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वरुण अर्जुन मेडिकल कॉलेज! 96 एमबीबीएस छात्रों को फेल करने पर मेडिकल कॉलेज पर बड़ी कार्रवाई – जानिए पूरा मामला

शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश – वरुण अर्जुन मेडिकल कॉलेज, बंथरा, शाहजहांपुर एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार कारण है एमबीबीएस अंतिम वर्ष के 96 छात्रों को जनरल मेडिसिन की प्रैक्टिकल परीक्षा में जानबूझकर फेल किया जाना। छात्रों की शिकायत पर रूहेलखंड विश्वविद्यालय (रुविवि) ने कड़ी कार्रवाई की है, जिससे पूरे शैक्षणिक जगत में हलचल मच गई है।

क्या है पूरा मामला?

96 छात्रों को एक ही विषय – जनरल मेडिसिन के प्रैक्टिकल में फेल किया गया। जब इन छात्रों ने यूनिवर्सिटी से संपर्क कर आपत्ति दर्ज कराई, तो कुलपति प्रो. के.पी. सिंह ने तत्काल एक जांच समिति गठित की। रिपोर्ट में सामने आया कि आंतरिक परीक्षकों ने जानबूझकर छात्रों को फेल किया और कॉलेज प्रशासन ने भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया।

रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

  • आंतरिक परीक्षकों की मिलीभगत से जानबूझकर छात्रों को फेल किया गया।
  • शिकायतों के बावजूद कॉलेज प्रशासन ने संबंधित शिक्षक को ही नंबर अपलोड करने की जिम्मेदारी दी।
  • छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ को लेकर विश्वविद्यालय ने सख्त रुख अपनाया।

कॉलेज और दोषी शिक्षकों पर क्या हुई कार्रवाई?

  • विभागाध्यक्ष डॉ. धनकर ठाकुर की सेवा समाप्त कर दी गई।
  • आंतरिक परीक्षक डॉ. विवेक कुमार वर्मा को निलंबित किया गया।
  • कॉलेज पर प्रति छात्र ₹10,000 का जुर्माना, कुल ₹9.6 लाख लगाया गया।
  • छात्रों से दोबारा परीक्षा के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।

पुनः प्रैक्टिकल परीक्षा की घोषणा

रूहेलखंड विश्वविद्यालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि सभी इच्छुक छात्रों के लिए दोबारा से जनरल मेडिसिन की प्रैक्टिकल परीक्षा कराई जाएगी। यह परीक्षा प्रो. आलोक श्रीवास्तव और डॉ. आभा त्रिवेदी की निगरानी में होगी। परीक्षा का सारा खर्च कॉलेज को अपने संसाधनों से उठाना होगा।

छात्रों को मिला न्याय, पर शिक्षा प्रणाली पर सवाल

इस घटना ने एक बार फिर भारतीय शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्रों की मेहनत और भविष्य के साथ इस तरह का व्यवहार बेहद चिंताजनक है। विश्वविद्यालय द्वारा उठाया गया यह कदम छात्रों को न्याय दिलाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।


निष्कर्ष

एमबीबीएस छात्रों के साथ हुई इस घटना ने न केवल एक कॉलेज की लापरवाही को उजागर किया, बल्कि यह भी बताया कि अगर छात्र एकजुट होकर आवाज़ उठाएं तो न्याय जरूर मिलता है। रूहेलखंड विश्वविद्यालय की तत्परता और सख्त कार्रवाई ने एक मिसाल कायम की है।