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बरेली की ट्रैफिक व्यवस्था बदहाल: स्कूलों और बारातघरों की मनमानी से जाम

बरेली शहर की सड़कों पर रोज़ाना लगता है जाम, स्कूलों और बारातघरों के बाहर पार्किंग की व्यवस्था न होने से आम जनता परेशान। भवन निर्माण उपविधि-2025 में नए नियम लागू, मगर पालन पर अब भी सवाल।


बरेली में ट्रैफिक जाम बनी आम बात, जिम्मेदार स्कूल और बारातघर

बरेली जैसे तेजी से बढ़ते शहर की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बन चुकी है—यातायात व्यवस्था। खासतौर पर बदायूं रोड और पीलीभीत बाईपास जैसे व्यस्त इलाकों में बारातघरों की मनमानी और निजी स्कूलों की लापरवाही ने ट्रैफिक व्यवस्था की कमर तोड़ दी है।

बदायूं रोड पर एक किलोमीटर में 25 बारातघर, हर दिन जाम की स्थिति

नेकपुर चीनी मिल से पराग दुग्ध फैक्ट्री तक का करीब एक किलोमीटर का इलाका बारातघरों से पटा पड़ा है। यहां करीब 25 बारातघर हैं, जिनमें से अधिकतर के पास पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। शादी-विवाह के मौसम में हर रात रोड पर वाहन खड़े होने से घंटों जाम लगा रहता है।

स्वागत द्वार तक सड़क पर बनाए जाते हैं और वाहन फुटपाथ से लेकर रोड तक अतिक्रमण करते हैं। ऐसी ही स्थिति फहम लॉन, सदर, बिथरी, और अन्य इलाकों में भी देखने को मिलती है।


स्कूलों के बाहर भी रोज़ाना लगता है जाम, पार्किंग का अभाव

बरेली के बड़े स्कूलों जैसे—हार्टमैन कॉलेज, बीबीएल, जीआरएम स्कूल, सेंट फ्रांसिस, द गुरु पब्लिक स्कूल, और जीके सिटी मांटेसरी—के सामने सुबह और दोपहर ट्रैफिक जाम लगना आम बात है।

स्कूल प्रशासन हर साल 10% फीस बढ़ाता है, लेकिन पार्किंग की व्यवस्था नहीं करता। वीआईपी गाड़ियों की बीच सड़क पर पार्किंग आम लोगों के लिए सिरदर्द बन गई है।


भवन निर्माण उपविधि-2025 में सख्त नियम, लेकिन क्या होगा पालन?

उत्तर प्रदेश सरकार ने भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 के तहत सभी शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों के लिए पार्किंग अनिवार्य कर दी है। नए नियमों के अनुसार:

  • स्कूलों में बस और वैन की पार्किंग जरूरी होगी
  • परिसर में पिक एंड ड्रॉप ज़ोन बनाना होगा
  • पार्किंग की व्यवस्था पर प्रबंधन प्रणाली बनाना अनिवार्य होगा
  • नियमों का पालन करने वालों को एक मंजिला अतिरिक्त निर्माण की अनुमति मिलेगी

सवाल यह है कि क्या पुराने स्कूलों और बारातघरों पर भी ये नियम लागू होंगे? क्योंकि अब तक तो अदालती आदेश भी कागज़ों तक ही सीमित रहे हैं।


क्या प्रशासन उठाएगा सख्त कदम या यूं ही भुगतते रहेंगे आम लोग?

चाहे स्कूल हों या बारातघर, नियमों की धज्जियां उड़ाने वालों पर प्रशासन की पकड़ ढीली नजर आती है। पुलिस और नगर निगम की मिलीभगत और यूनियन नेताओं के दबाव के चलते कार्रवाई नहीं हो पाती। नतीजा—आम जनता को घंटों ट्रैफिक जाम में फंसे रहना पड़ता है।

अब जबकि भवन निर्माण उपविधि 2025 के ड्राफ्ट को जनता की आपत्तियों और सुझावों के लिए खोला गया है, उम्मीद की जानी चाहिए कि ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।


निष्कर्ष: पार्किंग समस्या नहीं सुलझी तो शहर की रफ्तार थम जाएगी

अगर जल्द ही स्कूलों और बारातघरों के बाहर पार्किंग और ट्रैफिक व्यवस्था पर कड़ा एक्शन नहीं लिया गया, तो बरेली जैसे बढ़ते शहर में विकास की रफ्तार ट्रैफिक जाम में फंसकर रह जाएगी। अब समय आ गया है कि नियमों को सख्ती से लागू किया जाए और शहर की सड़कों को आम जनता के लिए सुगम बनाया जाए।