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ऑपरेशन सिंदूर: कर्नल सोफिया कुरैशी – शौर्य, संस्कृति और साहस की प्रतीक

जानिए ऑपरेशन सिंदूर की नायिका कर्नल सोफिया कुरैशी की प्रेरणादायक कहानी, जिन्होंने बुद्धिमत्ता और वीरता से पाकिस्तान को करारा जवाब दिया और भारतीय नारी शक्ति की मिसाल पेश की।


8 मई की सुबह, भारत के इतिहास में साहस और संस्कार का ऐसा संगम देखने को मिला, जिसने हर देशवासी का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस वार्ता में जब एक गरिमामयी आवाज गूंजी – “सुप्रभात, देवियो और सज्जनों” – तो वह महज़ एक औपचारिक अभिवादन नहीं था, वह था भारत की संस्कृति में रचे-बसे आत्मविश्वास का उद्घोष।

इस आवाज़ की मालिक थीं कर्नल सोफिया कुरैशी, जिन्होंने न केवल पाकिस्तान की पोल खोली, बल्कि दुनिया को यह भी दिखा दिया कि भारतीय नारी अब केवल घर की सीमा तक सीमित नहीं है — वह अब सीमाओं की रक्षक भी है।


कर्नल सोफिया कुरैशी: वीरता की तीसरी पीढ़ी

कर्नल सोफिया का जन्म 1976 में पुणे में हुआ, लेकिन उनकी प्रारंभिक शिक्षा मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के नौगांव में हुई। वह एक सैन्य परिवार से आती हैं — उनके पिता कर्नल ताज मोहम्मद कुरैशी और दादा दोनों ही भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं। वह इस देशभक्त परंपरा की तीसरी पीढ़ी हैं, जिन्होंने सेना की वर्दी पहनकर राष्ट्र सेवा को अपना धर्म बनाया।


शिक्षा से सेना तक का सफर

  • प्रारंभिक पढ़ाई: केंद्रीय विद्यालय, वडोदरा
  • स्नातक: एमएस विश्वविद्यालय, वडोदरा (विज्ञान)
  • स्नातकोत्तर: बायोकेमिस्ट्री में
  • पीएचडी में दाखिला लिया लेकिन 1999 में शॉर्ट सर्विस कमिशन के जरिए सेना में भर्ती हो गईं।
  • जब वह ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी में थीं, कारगिल युद्ध चल रहा था।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराया

  • 2006: संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत कांगो में तैनाती
  • 2016: बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में हिस्सा लिया, जहां वह आसियान टीम की एकमात्र महिला अफसर थीं।
  • आज वह सिग्नल अफसर हैं और सैन्य कम्युनिकेशन की विशेषज्ञ मानी जाती हैं।

ऑपरेशन सिंदूर: साहस और गरिमा का संगम

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब कर्नल सोफिया ने प्रेस मंच से दुश्मनों को सेना की ताकत का परिचय दिया, तो उनके हर शब्द में संयम, आत्मविश्वास और शक्ति का संदेश था।

उनका “सुप्रभात” कहना एक सांस्कृतिक तमाचा था, जो यह दर्शाता है कि भारत अब केवल सहता नहीं, उचित समय पर करारा जवाब देना भी जानता है।


साथ में खड़ी थीं विंग कमांडर व्योमिका सिंह

विंग कमांडर व्योमिका सिंह, जो एक अनुभवी हेलिकॉप्टर पायलट हैं, ने अंग्रेज़ी में ऑपरेशन का विवरण प्रस्तुत किया। वह 2500 घंटे से अधिक उड़ानें भर चुकी हैं और जम्मू-कश्मीर व पूर्वोत्तर भारत में कई रेस्क्यू मिशन में हिस्सा ले चुकी हैं।


परिवार का गौरव और देश की शान

कर्नल सोफिया के परिवार का हर सदस्य गर्व से भर उठा:

  • पिता ताजुद्दीन कुरैशी बोले: “बेटी ने देश के लिए कुछ कर दिखाया, अब गुलाम कश्मीर को भी वापस लाना है।”
  • मां हलीमा बेगम: “बेटा हो या बेटी, दोनों बराबर हैं।”
  • भाई संजय: “ऐसा लगता है जैसे हमने दुनिया जीत ली।”
  • बेटा समीर: वायुसेना में भर्ती की तैयारी कर रहा है।
  • भतीजी सायरा: सेना में शामिल होना चाहती है।

निष्कर्ष

कर्नल सोफिया कुरैशी का जीवन केवल सैन्य पराक्रम की कहानी नहीं, बल्कि यह उस भारतीय नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जो आज देश की सीमाओं की रक्षा में अग्रिम पंक्ति में खड़ी है।

“सोफिया” का अर्थ होता है बुद्धिमत्ता, और उन्होंने सिद्ध कर दिया कि जब बुद्धि और बल का संगम होता है, तो इतिहास रचता है।