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UP में ₹44 हजार करोड़ खर्च के बाद भी बिजली लाइन हानि जस की तस – CBI जांच की मांग तेज


उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। केंद्र सरकार की Revamped Distribution Sector Scheme (RDSS) के तहत ₹44,094 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद लाइन हानियों (Line Losses) में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। उपभोक्ताओं और विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला केवल तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि नीति और वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है।

लाइन हानि की वर्तमान स्थिति (2024-25 और 2025-26)

बिजली कंपनी2024-252025-26
दक्षिणांचल15.53%15.53%
मध्यांचल13.59%13.59%
पश्चिमांचल11.18%11.18%
पूर्वांचल16.23%16.23%
केस्को7.68%7.68%
कुल औसत13.78%13.78%

नियामक आयोग में दाखिल की गई वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) रिपोर्ट से स्पष्ट है कि भारी खर्च के बावजूद लाइन हानि में कोई गिरावट नहीं आई है।

किन कंपनियों पर कितना खर्च हुआ?

  • दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम: ₹7434 करोड़
  • मध्यांचल विद्युत वितरण निगम: ₹13,539 करोड़
  • पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम: ₹12,695 करोड़
  • पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम: ₹9481 करोड़
  • केस्को (KESCO): ₹943 करोड़

उपभोक्ता परिषद का आरोप

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि यह योजना निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए चलाई गई। उनका कहना है कि प्रदेश के 42 जनपदों की बिजली निजी हाथों में सौंपने के बाद जानबूझकर सुधार नहीं किए गए, ताकि निजी घरानों को मुनाफा मिल सके।

उन्होंने यह भी कहा कि:

“जब 44 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, और फिर भी लाइन हानियां कम नहीं हुईं, तो यह सीधे तौर पर जनता के पैसे की बर्बादी और नियोजन की विफलता है। इसकी **CBI जांच होनी चाहिए।”

क्या है आरडीएसएस (RDSS)?

Revamped Distribution Sector Scheme भारत सरकार की योजना है जिसका उद्देश्य:

  • वितरण हानियों को 15% से नीचे लाना
  • स्मार्ट मीटरिंग को बढ़ावा देना
  • बिजली की गुणवत्ता और उपलब्धता में सुधार लाना

लेकिन उत्तर प्रदेश में इन लक्ष्यों को पूरा करने में बड़ी चूक सामने आ रही है।

निष्कर्ष: जनता के पैसे की हो रही बर्बादी?

  • 44,094 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी 13.78% लाइन हानि बनी हुई है
  • किसी भी कंपनी में सुधार नहीं दिख रहा है
  • CBI जांच की मांग से स्पष्ट है कि अब पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत है

क्या उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी? या फिर आम उपभोक्ता यूं ही महंगी बिजली और खराब सेवाओं की कीमत चुकाता रहेगा?