
Nitesh Agarwal, Lakhimpur Khiri News
लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश): पलिया तहसील के थारू बाहुल्य ग्राम सूरमा में कोटेदार की अनियमितताओं के खिलाफ ग्राम प्रधान से लेकर आम ग्रामीण तक लगातार आवाज उठा रहे हैं, लेकिन प्रशासन की चुप्पी सीएम योगी आदित्यनाथ की “जीरो टॉलरेंस” नीति पर सवाल खड़े कर रही है।
ग्रामीणों का आरोप है कि कोटेदार द्वारा घटतौली, पात्र लोगों को राशन से वंचित करना और सूची में गड़बड़ी जैसी गंभीर अनियमितताएं की जा रही हैं। पिछले तीन महीनों से आपूर्ति निरीक्षक (Supply Inspector) और जिला पूर्ति अधिकारी (DSO) को कई बार शिकायतें दी जा चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
जांच के नाम पर हो रहा सिर्फ दिखावा!
ग्रामीणों ने बताया कि जब-जब जांच की बात आती है, कोटेदार को पहले से सूचना दे दी जाती है। ऐसे में गांव में कोई भी कार्रवाई निष्पक्ष रूप से नहीं हो पा रही। ग्रामीणों ने इस प्रशासनिक उदासीनता के खिलाफ प्रदर्शन भी किया, लेकिन अधिकारी अब भी चुप हैं।
थारू जनजाति की अनदेखी?
सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या प्रशासन थारू जनजाति जैसे वंचित समुदायों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहा? गांव के लोग कह रहे हैं कि बार-बार गुहार लगाने के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिल रहा।
क्या कहती है सरकार की नीति?
सीएम योगी की सरकार ने भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर “जीरो टॉलरेंस” की नीति घोषित की है, लेकिन जमीनी स्तर पर सूरमा जैसे गांवों में यह नीति दम तोड़ती नजर आ रही है।
अब क्या?
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो वे जिला मुख्यालय पर बड़ा आंदोलन करेंगे। ऐसे में देखना यह है कि प्रशासन कब जागता है और पीड़ितों को कब मिलेगा न्याय।