
बरेली। वर्ष 2020 में लॉकडाउन के दौरान भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के महानगर अध्यक्ष युनूस अहमद उर्फ डंपी की गोली मारकर हत्या करने के मामले में न्यायालय ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। संपत्ति विवाद को लेकर हुई इस वारदात में कोर्ट ने दो सगे भाइयों सिराजउद्दीन और इशामुद्दीन समेत आशिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार सिंह की अदालत ने तीनों दोषियों पर 60-60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसके साथ ही इशामुद्दीन को आर्म्स एक्ट के तहत दोषी ठहराते हुए एक साल की अतिरिक्त सजा व 20 हजार रुपये जुर्माना और आशिक को भी एक साल की कैद व 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई।
हत्या की वारदात लॉकडाउन के दौरान हुई थी
घटना 14 अप्रैल 2020 की है, जब देशभर में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लागू था। भाजपा नेता युनूस अहमद अपने घर एजाजनगर गौंटिया पर रिश्तेदारों संग बैठे थे। तभी सिराजउद्दीन, उसका भाई इशामुद्दीन, आशिक और एक अज्ञात व्यक्ति वहां पहुंचे और युनूस पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
पत्नी शहनाज की तहरीर पर बारादरी थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस ने विवेचना के बाद तीन आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया।
12 गवाहों के बयान बने अहम सबूत
मुकदमे के विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष ने कुल 12 गवाह अदालत में पेश किए। न्यायालय ने वादी शहनाज के बयान को अहम मानते हुए तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया।