
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव घटने के बाद बलूचिस्तान में विद्रोह की लहर और तेज़ हो गई है। बलूच लिबरेशन आर्मी के बढ़ते हमले पाकिस्तान की नई चुनौती बन गए हैं। जानिए बलूचिस्तान का भविष्य क्या हो सकता है।
भारत-पाकिस्तान सीज़फायर के बाद बलूचिस्तान में नया संकट
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव कम होने और सीज़फायर समझौते के बाद, दुनिया की निगाहें अब पाकिस्तान के अंदर उठ रही नई लहर की तरफ हैं – बलूचिस्तान में आज़ादी की मांग। जहां एक ओर सीमाओं पर शांति की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के हमलों ने पाकिस्तान की नींव हिला दी है।
बलूचिस्तान में बढ़ती हिंसा: हमलों की बाढ़
पिछले कुछ दिनों में क्वेटा, मस्तंग और कच्छ जैसे इलाकों में BLA ने पाकिस्तानी सेना पर कम से कम छह हमले किए हैं। इन हमलों में दर्जनों सैनिक मारे गए और कई चौकियां तबाह हो चुकी हैं। सबसे बड़ा हमला एक रिमोट बम ब्लास्ट था जिसमें सेना की गाड़ी उड़ गई।
सोशल मीडिया पर बगावत: बलूच झंडों की तस्वीरें वायरल
बलूच विद्रोही संगठन अब केवल बंदूक तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो और तस्वीरें डालकर दिखाया है कि वे पाकिस्तान के झंडे उतार कर बलूचिस्तान के झंडे फहरा रहे हैं। इससे यह साफ है कि यह सिर्फ विद्रोह नहीं, बल्कि राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक लड़ाई भी है।
पाकिस्तान के लिए दोहरी मुसीबत
भारत के साथ संघर्ष से राहत मिलने के बाद पाकिस्तान उम्मीद कर रहा था कि हालात सामान्य होंगे। लेकिन बलूचिस्तान में बगावत ने उसे दो मोर्चों पर लड़ने को मजबूर कर दिया है – एक सीमाओं पर और दूसरा अपने ही देश के अंदर।
बलूचिस्तान का भविष्य क्या होगा?
बलूचिस्तान का भविष्य कई कारकों पर निर्भर करेगा:
- आंतरिक दबाव: अगर पाकिस्तान बलपूर्वक आंदोलन को दबाने की कोशिश करेगा, तो प्रतिक्रिया और तेज हो सकती है।
- अंतरराष्ट्रीय समर्थन: बलूच नेताओं ने दुनिया से अपील की है कि वे बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र राष्ट्र मान्यता दें।
- भारत की रणनीति: भारत इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाकर पाकिस्तान को दबाव में डाल सकता है।
- संसाधनों पर नियंत्रण: बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे संसाधन संपन्न क्षेत्र है। अगर यह हाथ से निकलता है, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लग सकता है।
निष्कर्ष
भारत-पाकिस्तान तनाव के कम होने से जहां शांति की उम्मीद जगी थी, वहीं बलूचिस्तान में बगावत एक नया तूफान बनकर उभरी है। आने वाले महीनों में यह आंदोलन और भी बड़ा रूप ले सकता है। अगर पाकिस्तान समय रहते हल नहीं निकालता, तो बलूचिस्तान की आज़ादी की मांग केवल एक सपना नहीं, एक राजनीतिक आंदोलन का रूप ले सकती है।