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आयुष्मान भारत योजना में 10 करोड़ रुपये का घोटाला: 22 दिनों में 6239 फर्जी मरीजों के नाम पर भुगतान

📅 तारीख: 10 जून 2025
📍 स्थान: लखनऊ, उत्तर प्रदेश


🔴 लखनऊ में आयुष्मान भारत योजना के तहत 10 करोड़ रुपये का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जांच में पता चला है कि केवल 22 दिनों में 6239 फर्जी लाभार्थियों के नाम पर 39 निजी अस्पतालों को ₹9.94 करोड़ का भुगतान किया गया।

इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब ‘साचीज’ नामक एजेंसी के नोडल अधिकारी डॉ. बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने हजरतगंज थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। आरोप है कि एजेंसी के सीईओ, लेखाधिकारी और वित्त प्रबंधक की ईमेल और लॉग इन आईडी का दुरुपयोग कर अस्पतालों को फर्जी भुगतान किया गया।


🧾 क्या है घोटाले की पूरी कहानी?

  • घटना की अवधि: 1 मई से 22 मई 2025
  • कुल भुगतान: ₹9.94 करोड़
  • संलिप्त अस्पताल: 39
  • फर्जी लाभार्थी: 6239
  • साइबर हेरफेर: अधिकारियों की लॉगिन आईडी का दुरुपयोग

इंस्पेक्टर विक्रम सिंह के अनुसार, यह रकम वैध प्रक्रिया के अंतर्गत नहीं भेजी गई थी। जालसाजों ने ऑनलाइन सिस्टम में सेंध लगाकर धनराशि ट्रांसफर की।


🏥 आयुष्मान भारत योजना क्या है?

आयुष्मान भारत योजना, जिसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) भी कहा जाता है, भारत सरकार की एक प्रमुख स्वास्थ्य योजना है। इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों को सालाना ₹5 लाख तक का नि:शुल्क इलाज देना है।

लेकिन इस घोटाले से योजना की पारदर्शिता, निगरानी तंत्र और साइबर सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठे हैं।


🕵️‍♀️ जांच तेज, जल्द होंगी गिरफ्तारियां

पुलिस का कहना है कि जांच तेजी से चल रही है और जल्द ही कई लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है। आईटी एक्सपर्ट्स की मदद से साइबर फॉरेंसिक एनालिसिस किया जा रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि डेटा एक्सेस कहां से हुआ।


🗣️ सरकार की प्रतिक्रिया

सरकारी प्रवक्ताओं ने कहा है कि:

“यह एक गंभीर मामला है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और योजना की सुरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जाएगा।”


🚨 क्यों है यह मामला अहम?

  • यह घोटाला दर्शाता है कि सरकारी योजनाओं का डेटा कितना असुरक्षित है।
  • अगर समय रहते साइबर सुरक्षा नहीं बढ़ाई गई, तो आगे और भी बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी हो सकती है।
  • इससे योजना की साख और लोगों का विश्वास कमजोर होता है।

📢 निष्कर्ष:

आयुष्मान भारत योजना जैसी कल्याणकारी योजनाएं गरीबों के लिए संजीवनी हैं। लेकिन जब इन योजनाओं में इस तरह के घोटाले सामने आते हैं, तो सरकार की निगरानी व्यवस्था और पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं। अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इस मामले में कितनी तेज़ और सख्त कार्रवाई करती है।