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राजेश मौर्य ठगी कांड-“ठगी का साम्राज्य ढहता है, लेकिन क्या पीड़ितों को मिलेगा न्याय?”


बरेली, 26 मई 2025:
उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में बीते वर्षों से फैली वित्तीय धोखाधड़ी की एक बड़ी गाथा अब अपने निर्णायक मोड़ पर है। श्री गंगा इंफ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर राजेश मौर्य ने हजारों लोगों को सुनहरे सपने दिखाकर उनकी जिंदगी भर की कमाई लूट ली। आज जब यह कथित मास्टरमाइंड सलाखों के पीछे है, तब सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या अब पीड़ितों को न्याय मिलेगा?

ठगी का नेटवर्क और पुलिस की नाकामी
राजेश मौर्य केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक पूरी धोखाधड़ी व्यवस्था का प्रतीक बन चुका है। उसकी योजना इतनी सधी हुई थी कि बरेली के व्यापारी, अधिकारी, सफेदपोश और पुलिसकर्मी तक उसके झांसे में आ गए।
पुलिस और प्रशासन की आंखें तब खुलीं जब हजारों लोगों ने एफआईआर दर्ज कराई और मामला मीडिया की सुर्खियों में आया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी—300 करोड़ से ज्यादा की ठगी हो चुकी थी।

क्राइम ब्रांच की कार्रवाई सराहनीय, लेकिन अधूरी
क्राइम ब्रांच द्वारा गाजियाबाद से की गई गिरफ्तारी और संपत्तियों की जब्ती इस मामले में बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। पर क्या सिर्फ गिरफ्तारी से समस्या का समाधान होगा? जब तक हर निवेशक को उसकी मेहनत की पूंजी वापस नहीं मिलती, तब तक यह कार्रवाई अधूरी ही मानी जाएगी।

न्यायपालिका की भूमिका में जनता की उम्मीद
माननीय जज श्री हरिहर प्रसाद यादव और श्री गगन कुमार भारती जैसे न्यायाधीशों से लोगों को न्याय की आशा है। यह मामला अब सिर्फ एक आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि जन विश्वास की बहाली का प्रतीक बन चुका है।

अब क्या करे सरकार?

  • सरकार को चाहिए कि इस केस की फास्ट ट्रैक सुनवाई सुनिश्चित करे।
  • निवेशकों के लिए विशेष हेल्पलाइन और लीगल सपोर्ट मुहैया कराई जाए।
  • वित्तीय अपराध करने वालों की संपत्तियों से तत्काल राहत राशि निवेशकों को दी जाए।

निष्कर्ष
राजेश मौर्य की गिरफ्तारी एक राहत है, परंतु यह सिर्फ एक शुरुआत है। देश को चाहिए कि ऐसे मामलों में कड़े कानून बनाकर सार्वजनिक धन की सुरक्षा को प्राथमिकता दे। जब तक हर पीड़ित को न्याय और उसका पैसा वापस नहीं मिलता, तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।