
स्ववित्त पाठ्यक्रमों की फीस का दुरुपयोग, 8.47 करोड़ रुपये गेस्ट लेक्चरर्स को अवैध भुगतान
बरेली, उत्तर प्रदेश – महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय (पूर्व नाम: रुहेलखंड विश्वविद्यालय) में बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है। लेखा परीक्षा विभाग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्ववित्त पाठ्यक्रमों (बीटेक, एमबीए, होटल मैनेजमेंट आदि) से प्राप्त फीस का गलत उपयोग किया है, जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
घोटाले के प्रमुख बिंदु:
1. गेस्ट लेक्चरर्स को अवैध भुगतान (8.47 करोड़ रुपये)
- स्ववित्त पाठ्यक्रमों से प्राप्त फीस से 8.47 करोड़ रुपये गेस्ट लेक्चरर्स और कर्मचारियों के वेतन पर अनियमित तरीके से खर्च किए गए।
- यह राशि नियमों के विरुद्ध थी, क्योंकि इस फंड का उपयोग इंफ्रास्ट्रक्चर और छात्र हित में होना चाहिए था।
2. विश्वविद्यालय निधि में 20% अंश न जमा करना (2.39 करोड़ रुपये का घाटा)
- नियमानुसार, स्ववित्त पाठ्यक्रमों की फीस का 20% हिस्सा विश्वविद्यालय के सामान्य फंड में जमा होना था, लेकिन यह नहीं किया गया।
- इससे 2.39 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जो विश्वविद्यालय के विकास कार्यों में लग सकता था।
3. आईएएसई संकाय को गलत फंडिंग (6.92 करोड़ रुपये का ऋण)
- 2014 से 2022 तक, आईएएसई संकाय को चलाने के लिए अन्य संकायों (आईटी और होटल मैनेजमेंट) से 6.92 करोड़ रुपये का ऋण लिया गया।
- यह स्ववित्त पोषित नीतियों के खिलाफ था और इससे विश्वविद्यालय के फंड का गलत आवंटन हुआ।
4. चैलेंज इवैल्यूएशन फीस गायब (4.30 करोड़ रुपये लापता)
- चैलेंज इवैल्यूएशन से प्राप्त 4.30 करोड़ रुपये की फीस बीटेक खाते में ट्रांसफर दिखाई गई, लेकिन यह राशि वास्तव में नहीं पहुँची।
- ऑडिट टीम ने चेतावनी दी है कि यह गबन का मामला हो सकता है।
5. रद्दी कागजात को कम दाम पर बेचना (10.30 लाख रुपये का नुकसान)
- यूपी संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा-2022 की रद्दी OMR शीट और फॉर्म को सामान्य दर से कम (2121 रुपये प्रति क्विंटल) में बेचा गया, जबकि पहले यह 3200 रुपये प्रति क्विंटल में बिकती थी।
- इससे विश्वविद्यालय को 10.30 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
6. बिना जरूरत के एफडी भुनाना (ब्याज का नुकसान)
- विश्वविद्यालय के खाते में 13.60 करोड़ रुपये होने के बावजूद, 3.53 करोड़ रुपये की एफडी समय से पहले भुनाई गई, जिससे ब्याज का नुकसान हुआ।
विश्वविद्यालय प्रशासन का बचाव
विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. अमित सिंह ने कहा कि यह एक सामान्य ऑडिट प्रक्रिया है और सभी आपत्तियों का जवाब दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि कुछ दस्तावेज समय पर नहीं जमा हो पाने के कारण यह विवाद हुआ है।
क्या होगा आगे?
- लेखा परीक्षा रिपोर्ट के बाद, उच्च स्तरीय जाँच की माँग उठ रही है।
- यदि गंभीर गड़बड़ी पाई जाती है, तो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज हो सकता है।
- छात्र संगठनों ने पारदर्शिता और कार्रवाई की माँग की है।
निष्कर्ष:
यह मामला उच्च शिक्षा संस्थानों में फंड मैनेजमेंट की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। अब देखना है कि प्रशासन और सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है।