
सीआरपीएफ के जवान मुनीर अहमद की कहानी इस समय चर्चा में है। उन्होंने अपनी रिश्ते की बहन मीनल, जो पाकिस्तान की नागरिक हैं, से शादी की — और अब उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। उनका कहना है कि उन्होंने हर प्रक्रिया का पालन किया और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न्याय की गुहार लगा रहे हैं।
कौन हैं मुनीर अहमद?
मुनीर अहमद जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं और 2017 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील इलाकों में सेवा दी है। उनका कहना है कि उन्होंने हमेशा नियमों और देशहित का पालन किया।
मीनल से निकाह: सरहद के पार का रिश्ता
मुनीर ने बताया कि मीनल उनके मामू की बेटी हैं। उनका परिवार भारत-पाक विभाजन से पहले जम्मू में रहता था और विभाजन के बाद पाकिस्तान चला गया। दोनों का निकाह बचपन में तय हुआ था और 2024 में ऑनलाइन शादी हुई।
शादी और वीजा की कानूनी प्रक्रिया
मुनीर का दावा है कि उन्होंने दिसंबर 2022 में विभाग को जानकारी दी और NOC के लिए आवेदन किया। विभाग की ओर से जो आपत्तियाँ उठाई गईं, उन्हें उन्होंने स्पष्ट किया और सभी दस्तावेज सौंपे।
इसके बाद:
- मीनल को 28 फरवरी 2025 को विजिट वीजा मिला।
- फिर 4 मार्च को LTV वीजा के लिए आवेदन हुआ।
- 13 मार्च तक प्रक्रिया पूरी हुई और इंटरव्यू भी लिया गया।
22 मार्च को अचानक झटका
22 मार्च को पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार ने वीजा पर आए पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने का आदेश दिया। हालांकि यह नियम LTV वीजा धारकों पर लागू नहीं था, फिर भी मीनल को एग्जिट नोटिस दिया गया।
मुनीर ने कोर्ट में अपील की और कोर्ट ने मीनल को भारत में रहने की अनुमति दी।
बर्खास्तगी और दर्द
इसके बाद भी, 3 मई को मुनीर को बर्खास्त कर दिया गया। कारण बताया गया कि उन्होंने समय-समय पर विभाग को जानकारी नहीं दी। मुनीर ने कहा:
“मैंने हर नियम का पालन किया। फिर भी मुझे नौकरी से निकाला गया। मेरी पत्नी मीनल टूट चुकी हैं। वह पाकिस्तान नहीं जाना चाहतीं।”
एक जवान का दर्द और देशभक्ति
मुनीर ने यह भी कहा:
“मैंने देश की सेवा की है, और आतंक के खिलाफ सख्त कार्रवाई का समर्थन करता हूँ। मेरे जैसे जवान को इस तरह न्याय से वंचित करना कहां तक सही है?”
निष्कर्ष: क्या मुनीर को न्याय मिलेगा?
मुनीर अहमद का मामला कानून, मानवता और सुरक्षा नीतियों के बीच संतुलन का उदाहरण बन गया है। अगर उन्होंने सही में सभी प्रक्रियाएं पूरी की हैं, तो उनकी बर्खास्तगी पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।