
बरेली। स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही और कमीशनखोरी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक निजी अस्पताल के डॉक्टर और एंबुलेंस चालक पर मरीज की जान लेने के गंभीर आरोप लगे हैं। मामले में पुलिस ने विस्तृत जांच शुरू की है, जिसमें अस्पताल प्रबंधन से लेकर डॉक्टरों की योग्यता तक की जाँच की जा रही है।
क्या हुआ था?
वर्ष 2023 में रुद्रपुर निवासी भोला प्रसाद को हार्ट अटैक आने पर उनके पुत्र उमेश कुमार ने उन्हें रामपुर के एक अस्पताल ले जाया, जहाँ से उन्हें भोजीपुरा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। लेकिन, एंबुलेंस चालक फूल सिंह ने कथित तौर पर कमीशन के लालच में मरीज को राधिका अस्पताल, बरेली ले जाकर भर्ती करा दिया।
अस्पताल में डॉ. विवेक गुप्ता ने, जो हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं थे, भोला प्रसाद का इलाज शुरू किया और उनकी स्थिति को गंभीर नहीं बताया। कुछ घंटों बाद मरीज की मृत्यु हो गई।
जांच में क्या सामने आया?
- स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि अस्पताल में कोई हृदय रोग विशेषज्ञ तैनात नहीं था।
- कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) से एंबुलेंस चालक और अस्पताल स्टाफ के बीच कमीशनखोरी के सबूत मिले।
- पुलिस डॉ. विवेक की डिग्री और योग्यता की जाँच कर रही है।
- अस्पताल संचालक डॉ. प्रतीक गंगवार और अन्य स्टाफ के बयान दर्ज किए गए हैं।
एंबुलेंस माफिया और कमीशनखोरी का खेल
बरेली में लंबे समय से निजी अस्पतालों, लैब्स और एंबुलेंस चालकों के बीच कमीशनखोरी की शिकायतें मिलती रही हैं। कई बार एंबुलेंस चालक मरीजों को उचित अस्पताल ले जाने के बजाय ज्यादा कमीशन देने वाले अस्पतालों में ले जाते हैं, भले ही वहाँ इलाज की पर्याप्त सुविधा न हो।
एसपी सिटी मानुष पारीक ने बताया कि पुलिस सभी सबूत जुटा रही है और जल्द ही आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी।
निष्कर्ष
यह मामला स्वास्थ्य सेवाओं में गंभीर लापरवाही और अनैतिक प्रथाओं को उजागर करता है। पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए पुलिस तेजी से कार्रवाई कर रही है। आशा है कि इससे भविष्य में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगेगा।