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बरेली-आंवला में अवैध खनन पर नए DM अविनाश सिंह का एक्शन, बड़े चेहरों पर गिर सकती है गाज



बरेली-आंवला क्षेत्र में अवैध खनन के खिलाफ नए जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने कड़ा रुख अपनाया है। जानिए कैसे प्रशासन अब बड़े चेहरों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है।


बरेली, उत्तर प्रदेश – बरेली के नवागत जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने कार्यभार संभालते ही अपनी तेज़ कार्यशैली और कड़े तेवरों से प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। विशेष रूप से आंवला क्षेत्र में चल रहे अवैध खनन को लेकर उन्होंने खनन विभाग को सीधे निशाने पर लिया है।

अवैध खनन: एक पुरानी लेकिन गंभीर समस्या

बरेली और आंवला इलाका लंबे समय से अवैध खनन गतिविधियों का गढ़ बना हुआ है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस खनन में कुछ प्रभावशाली और राजनीतिक रूप से मजबूत लोगों की संलिप्तता की भी आशंका है। ट्रकों के जरिए भारी मात्रा में mitti की ढुलाई हो रही है, जिससे न केवल राजस्व को नुकसान पहुंच रहा है बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी बिगड़ रहा है।

जिलाधिकारी अविनाश सिंह का सख्त आदेश

DM ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि खनन विभाग के अधिकारी सप्ताह में कम से कम तीन दिन फील्ड में जाकर निरीक्षण करें और अवैध खनन में लिप्त वाहनों को जब्त कर जुर्माना वसूलें।
उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्य में कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

प्रशासनिक सख्ती और जनहित

जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में अपर जिलाधिकारी (प्रशासन), तहसीलदार, उपजिलाधिकारी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित रहे। बैठक में न्यायिक पारदर्शिता, पट्टों के आवंटन और राजस्व कार्यों की समीक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा की गई।

क्या अवैध खनन पर लगाम लगेगी?

इस सवाल का उत्तर आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन जिस प्रकार से नए DM ने पहले ही सप्ताह में सख्ती दिखाई है, उससे यह संकेत जरूर मिला है कि अब प्रशासन दबावमुक्त और पारदर्शी कार्रवाई के मूड में है। यदि इसी तरह जनता का सहयोग और प्रशासन की नीयत बनी रही, तो बड़े स्तर पर कार्रवाई संभव है।


निष्कर्ष:
बरेली-आंवला में अवैध खनन पर रोक लगाना केवल प्रशासन का ही नहीं, बल्कि समाज का भी उत्तरदायित्व है। नए जिलाधिकारी अविनाश सिंह की पहल सराहनीय है और यदि इसका सही तरीके से अनुपालन हुआ, तो यह क्षेत्र एक बड़ी समस्या से छुटकारा पा सकता है।