
बरेली, उत्तर प्रदेश। परसाखेड़ा औद्योगिक क्षेत्र स्थित नामचीन खाद्य तेल निर्माता बीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड दो अलग-अलग ठगी की घटनाओं का शिकार हो गई है। एक मामले में चेन्नई की एक प्राइवेट कंपनी ने लिफ्ट सप्लाई के नाम पर करीब ₹8 लाख हड़प लिए, जबकि दूसरे मामले में कंपनी का ही सेल्स ऑफिसर ₹10 लाख की नकद वसूली कर फरार हो गया। दोनों ही घटनाओं में कंपनी ने सीबीगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
पहला मामला: लिफ्ट सप्लाई के नाम पर ₹8 लाख की ठगी
बीएल एग्रो ने चेन्नई स्थित मेसर्स ईएलजीआई एलेवेटर सिस्टम्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। कंपनी के अनुसार 12 दिसंबर 2024 को बीएल एग्रो की बी-4 और जौहरपुर इकाइयों में लिफ्ट इंस्टॉलेशन के लिए दो प्रोजेक्ट ऑर्डर जारी किए गए थे। कुल भुगतान की राशि ₹7.90 लाख थी, जो कंपनी ने एडवांस में भेज दी थी।
आरोप: फर्जी ई-वे बिल, कोई डिलीवरी नहीं
आरोप है कि आरोपी कंपनी ने न तो लिफ्ट भेजी और न ही इंस्टॉलेशन कार्य शुरू किया। 27 मार्च को एक फर्जी ई-वे बिल भेजा गया, लेकिन ज़मीन पर कोई डिलीवरी नहीं हुई। 1 अप्रैल को एक पत्र भेजकर 14 अप्रैल तक लिफ्ट चालू करने का वादा किया गया, परंतु इसके बाद आरोपी कंपनी से कोई संपर्क नहीं हो पाया।
दूसरा मामला: सेल्स ऑफिसर ने ₹10 लाख लेकर की हेराफेरी
बीएल एग्रो के डिप्टी जनरल मैनेजर प्रेम बाबू ने बताया कि कंपनी ने 24 फरवरी 2025 को धर्मेंद्र कुमार मिश्रा को सेल्स ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया था। आरोपी को ग्रेटर नोएडा क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन धर्मेंद्र ने कंपनी को जानकारी दिए बिना दुकानदारों और डिस्ट्रीब्यूटर्स से करीब ₹10 लाख नकद वसूली कर ली और 26 मई के बाद से उसका कोई अता-पता नहीं है।
आरोपी का पता: अमेठी का निवासी, दिल्ली में रह रहा था
धर्मेंद्र मूल रूप से अमेठी जिले का निवासी है और फिलहाल दिल्ली के सोनिया विहार क्षेत्र में रह रहा था। अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार ₹3.42 लाख की नकद वसूली की पुष्टि हुई है। आरोपी के सभी मोबाइल नंबर बंद हैं और उसका कोई ठिकाना नहीं मिल रहा है।
पुलिस ने शुरू की जांच, आरोपी फरार
दोनों मामलों में बीएल एग्रो ने सीबीगंज थाने में अलग-अलग एफआईआर दर्ज कराई हैं। पुलिस ने बताया कि आरोपियों की तलाश शुरू कर दी गई है और जल्द ही आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष:
बरेली की इस प्रतिष्ठित कंपनी को हुई ठगी ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि कंपनियों को अपने वेंडर वेरिफिकेशन और कर्मचारी निगरानी सिस्टम को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है। पुलिस इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई में जुटी है।