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बरेली वृद्धावस्था पेंशन घोटाला: 1721 मृतक पेंशन ले रहे, भ्रष्टाचार , लापरवाही और दलाली का खुलासा

बरेली में वृद्धावस्था पेंशन घोटाले का चौंकाने वाला खुलासा, जहां 1721 मृतक पेंशन ले रहे थे। भ्रष्टाचार, लापरवाही और रिकवरी की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानें।


उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में वृद्धावस्था पेंशन योजना में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। राज्य सरकार के निर्देश पर किए गए सत्यापन अभियान में खुलासा हुआ कि 1721 मृत व्यक्ति अभी भी पेंशन प्राप्त कर रहे थे। यह घोटाला कर्मचारियों की लापरवाही, भ्रष्टाचार और दलालों की मिलीभगत को उजागर करता है। 68% सत्यापन कार्य पूरा होने के साथ, बरेली उत्तर प्रदेश के टॉप 10 जिलों में शामिल हो गया है। हालांकि, यह खुलासा समाज कल्याण प्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाता है।

बरेली पेंशन घोटाले, इसके कारणों, चल रही रिकवरी प्रक्रिया और सामाजिक कल्याण योजनाओं के भविष्य पर विस्तृत जानकारी


बरेली वृद्धावस्था पेंशन घोटाला: प्रमुख जानकारी

वृद्धावस्था पेंशन योजना, जो समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित है, जरूरतमंद बुजुर्गों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। बरेली में इस योजना के तहत 83,000 से अधिक लाभार्थी पंजीकृत हैं। लेकिन 10 अप्रैल से 30 अप्रैल 2025 तक चले सत्यापन अभियान में चौंकाने वाली अनियमितताएं सामने आईं:

  • 1721 मृत व्यक्तियों के नाम पर अभी भी पेंशन जारी थी, और उनके खातों में राशि जमा हो रही थी।
  • 30 अप्रैल 2025 तक 68.42% सत्यापन (83,129 लाभार्थियों में से 56,879 का सत्यापन) पूरा हुआ।
  • हैरानी की बात है कि शहरी क्षेत्रों में एक भी मृतक पेंशनर नहीं पाया गया, जिससे सत्यापन की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।
  • जिले को 25 मई 2025 तक 100% सत्यापन पूरा करने का निर्देश दिया गया है, जिसके बाद मृतकों के खातों से रिकवरी शुरू होगी।

सत्यापन का कार्य उप-जिलाधिकारियों (एसडीएम) और खंड विकास अधिकारियों (बीडीओ) द्वारा किया गया।


घोटाले के कारण: लापरवाही, भ्रष्टाचार और दलाली

बरेली का यह घोटाला प्रणालीगत खामियों और भ्रष्ट तंत्र का जीता-जागता सबूत है। इसके प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

  1. कर्मचारियों की लापरवाही:
    • समाज कल्याण विभाग ने समय पर सत्यापन नहीं किया, जिसके कारण मृतकों की सूची अपडेट नहीं हुई।
    • पुरानी सूचियों की समीक्षा में ढिलाई और सत्यापन प्रक्रिया में देरी ने इस घपले को बढ़ावा दिया।
  2. भ्रष्टाचार और दलालों की भूमिका:
    • दलालों ने अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर मृतकों के नाम पर पेंशन जारी रखी।
    • संभावना है कि यह राशि परिजनों या दलालों द्वारा हड़पी गई, जिसमें भ्रष्ट अधिकारियों को कमीशन मिला।
  3. प्रणालीगत कमियां:
    • सत्यापन प्रक्रिया में पारदर्शिता और तकनीकी निगरानी की कमी रही।
    • शहरी क्षेत्रों में एक भी मृतक न मिलना संदिग्ध है, जो सत्यापन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।

सत्यापन प्रक्रिया: बरेली का प्रदर्शन

बरेली ने सत्यापन कार्य में उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है:

  • 30 अप्रैल 2025 तक 68.42% सत्यापन पूरा हुआ, जो तय लक्ष्य (60%) से अधिक है।
  • जिले ने प्रदेश के टॉप 10 जिलों में नौवां स्थान हासिल किया।
  • प्रमुख सचिव वेंकटेश्वर लू ने 30 अप्रैल को समीक्षा बैठक में बरेली की प्रगति की सराहना की और 25 मई तक शत-प्रतिशत सत्यापन का निर्देश दिया।

हालांकि, शहरी क्षेत्रों में मृतक न मिलना संदेह पैदा करता है। अभी लगभग 40% लाभार्थियों का सत्यापन बाकी है, और पूरी प्रक्रिया के बाद मृतकों की संख्या बढ़ने की संभावना है।


रिकवरी और भविष्य के कदम

जिला समाज कल्याण अधिकारी सुधांशु शेखर के अनुसार, सत्यापन में बरेली की स्थिति प्रदेश में बेहतर रही। मृतक पाए गए व्यक्तियों के खातों में अब पेंशन नहीं जाएगी। इस संबंध में निम्नलिखित कदम उठाए जा रहे हैं:

  1. पेंशन रोकना: मृतकों के खातों में पेंशन जमा करने पर रोक लगाने के लिए बैंकों को पत्र लिखा जाएगा।
  2. रिकवरी प्रक्रिया: जिन खातों में लंबे समय तक पेंशन जमा हुई, उनसे राशि वसूल की जाएगी।
  3. प्रणाली में सुधार: भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए डिजिटल ट्रैकिंग और नियमित ऑडिट जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।

घोटाले का प्रभाव और सबक

बरेली का यह घोटाला न केवल वित्तीय नुकसान का मामला है, बल्कि यह सामाजिक कल्याण योजनाओं पर भरोसे को भी कमजोर करता है। यह उन जरूरतमंद बुजुर्गों के अधिकारों का हनन है, जिन्हें पेंशन का लाभ मिलना चाहिए। इस घोटाले से निम्नलिखित सबक मिलते हैं:

  • नियमित सत्यापन जरूरी: मृतकों और अपात्रों को हटाने के लिए वार्षिक सत्यापन को और सख्त करना होगा।
  • तकनीकी उपयोग: आधार-लिंक्ड सत्यापन और डिजिटल ट्रैकिंग से ऐसी धोखाधड़ी रोकी जा सकती है।
  • कड़ी कार्रवाई: दोषी अधिकारियों और दलालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

निष्कर्ष

बरेली वृद्धावस्था पेंशन घोटाला भ्रष्टाचार, लापरवाही और प्रणालीगत खामियों का स्पष्ट उदाहरण है। 1721 मृतकों के नाम पर पेंशन जारी होना और शहरी क्षेत्रों में मृतक न मिलना गंभीर अनियमितताओं को दर्शाता है। सत्यापन और रिकवरी के प्रयास सकारात्मक हैं, लेकिन भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। समाज कल्याण योजनाओं का लाभ सही लाभार्थियों तक पहुंचे, इसके लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना जरूरी है।


यह लेख सामाजिक मुद्दों और समाचारों पर आधारित विश्वसनीय जानकारी प्रदान करने के लिए लिखा गया है। हमारा उद्देश्य पाठकों को जागरूक करना और सामाजिक कल्याण योजनाओं में सुधार की आवश्यकता पर जोर देना है।