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बरेली में फर्जी फूड इंस्पेक्टर की दबंगई: असली अधिकारियों को दी जान से मारने की धमकी, एफआईआर दर्ज


बरेली (उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है जहाँ खुद को फूड इंस्पेक्टर बताने वाला एक व्यक्ति रामप्रसाद यादव, अपने बेटे और साथियों के साथ खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) कार्यालय में घुस आया और असली फूड इंस्पेक्टरों को खुलेआम जान से मारने की धमकी दी। इस पूरे घटनाक्रम से प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।

क्या है पूरा मामला?

19 अप्रैल 2025, दोपहर करीब 12 बजे FSDA कार्यालय, कलेक्ट्रेट परिसर, बरेली में खाद्य सुरक्षा अधिकारी हिमांशु सिंह, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी अक्षय गोयल, मुकेश कुमार, कमलेश कुमार शुक्ला, इंदजीत सिंह, जितेंद्र कुमार, शुभम जौहरी, सहायक रामपाल और कंप्यूटर ऑपरेटर अमित दिवाकर मौजूद थे। इसी दौरान रामप्रसाद यादव, अपने बेटे अभिषेक यादव और 4-5 अन्य लोगों के साथ कार्यालय में पहुँचा।

एफआईआर वापस लेने के लिए धमकी

सूत्रों के अनुसार, रामप्रसाद यादव ने पुराने मुकदमे को वापस लेने का दबाव बनाते हुए गाली-गलौज की और कहा:

“तुम लोग दफ्तर से बाहर निकलोगे तो जान से मार दूंगा।”

उसके बेटे अभिषेक यादव ने भी इसी तरह की धमकी दी। उनके साथ आए लोगों ने भी गाली-गलौज और अभद्र भाषा का प्रयोग किया। यह घटना सरकारी कार्य में बाधा डालने और जान से मारने की धमकी की श्रेणी में आती है।

पहले भी कर चुका है फर्जीवाड़ा

रामप्रसाद यादव कोई सरकारी कर्मचारी नहीं है, लेकिन वह पिछले कई वर्षों से खुद को FSDA अधिकारी बताकर बरेली के डीडीपुरम, हजियापुर, श्यामगंज, संजयनगर, माधोबाड़ी आदि क्षेत्रों में दुकानदारों से चेकिंग के नाम पर अवैध वसूली कर रहा था। शिकायत मिलने पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी मुकेश कुमार ने जब उसे समझाने की कोशिश की तो रामप्रसाद ने उन्हें भी जान से मारने की धमकी दी।

पहले भी दर्ज है केस

इससे पहले थाना बारादरी में भी रामप्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। उसने खुद पुलिस के सामने दावा किया कि:

“मैं पहले भी जेल जा चुका हूं, बारादरी थाने में जाकर पूछ लो। मैं 20 साल से यही काम कर रहा हूं और करता रहूंगा। मुझे कोई नहीं रोक सकता।”

एफआईआर दर्ज, पुलिस कर रही जांच

फूड इंस्पेक्टर हिमांशु सिंह की तहरीर पर कोतवाली बरेली पुलिस ने रामप्रसाद यादव, उसके बेटे अभिषेक यादव और 4-5 अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली है। आरोपियों पर सरकारी कार्य में बाधा, धमकी, अभद्र व्यवहार और अवैध वसूली जैसे संगीन आरोप लगे हैं।



निष्कर्ष

यह मामला न सिर्फ सरकारी व्यवस्था की गंभीर चूक को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि फर्जी अधिकारी कैसे वर्षों तक खुलेआम अवैध गतिविधियाँ करते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी और सख्ती से कार्रवाई करता है।