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बरेली में वक्फ संपत्ति घोटाला: करोड़ों की जमीन पर फर्जी दस्तावेज़ों से कब्जा, नगर निगम की फाइलें भी गायब


बरेली, उत्तर प्रदेश | 13 मई 2025


बरेली के सिविल लाइंस और सरदार पटेल चौराहा (पूर्व में आयूब खान चौराहा) इलाके में करोड़ों रुपये की वक्फ संपत्तियों पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए अवैध कब्जे और नामांतरण का मामला सामने आया है। वक्फ बोर्ड की जमीन को अज्ञात लोगों के साथ साठगांठ करके बेचने और नगर निगम की मूल फाइलें गायब करने का आरोप लगाया गया है।

वक्फ मुतवल्ली ने किया खुलासा, कई नामजद पर एफआईआर

सिविल लाइंस निवासी वक्फ मुतवल्ली बरकत नबी खान की शिकायत पर एसपी सिटी के आदेश पर कोतवाली थाने में तीन नामजद और अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
शिकायत में अलीगढ़ निवासी यूसुफ जमाल, लखनऊ निवासी नासिर सईद, और बरेली के गनपत राय बागला पर वक्फ की जमीन को हड़पने की साजिश रचने का आरोप है।

फर्जी दस्तावेजों से नगर निगम रिकॉर्ड में कराया नाम दर्ज

आरोपियों ने कथित रूप से नगर निगम के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज तैयार कर संपत्ति पर अपना नाम दर्ज करवा लिया, जिससे वक्फ की बहुमूल्य जमीन पर अवैध कब्जा संभव हो सका। इस साजिश के तहत नगर निगम की मूल फाइल भी गायब कर दी गई, जिससे वास्तविक स्वामित्व सिद्ध करना कठिन हो गया है।

सरदार पटेल चौराहा पर भी वक्फ संपत्ति की जांच की मांग

मुतवल्ली ने यह भी आरोप लगाया कि सरदार पटेल चौराहा (जिसे पहले आयूब खान चौराहा कहा जाता था) पर भी वक्फ बोर्ड की करोड़ों की जमीन को औने-पौने दामों में बेच दिया गया, जहाँ आज आधुनिक मार्केट खड़ी है। उन्होंने इस जमीन की भी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

क्षत्रिय महासभा और डॉक्टर फैमिली का नाम भी आया सामने

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि एक डॉक्टर परिवार और क्षत्रिय महासभा से जुड़े नेता इस घोटाले में शामिल हैं, जिन्होंने नगर निगम अधिकारियों के साथ मिलकर संपत्ति के रिकार्ड में हेराफेरी की। कुछ संपत्तियों पर जबरन कब्जा करने और मकानों की बाउंड्री तक तोड़ने का भी आरोप लगाया गया है।

नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल, वक्फ बोर्ड से कार्रवाई की मांग

इस पूरे मामले ने नगर निगम की पारदर्शिता और प्रामाणिकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि इस प्रकार से वक्फ संपत्तियों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है, तो आम नागरिकों की संपत्तियां भी असुरक्षित हो जाती हैं। जिला प्रशासन, वक्फ बोर्ड और शासन से मांग की जा रही है कि इस मामले में सख्त और पारदर्शी जांच की जाए