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बजाज फाउंडेशन द्वारा नाले की सफाई: सैकड़ों किसानों को बाढ़ से राहत


खीरी (पलिया कलां) – किसानों के हित में एक सराहनीय कदम उठाते हुए जमना लाल बजाज फाउंडेशन ने पलिया क्षेत्र में नालों की सफाई अभियान शुरू किया है। इस सफाई कार्य से न केवल बाढ़ की समस्या से राहत मिलेगी, बल्कि क्षेत्र के सैकड़ों किसानों की फसलें और भूमि सुरक्षित हो सकेंगी।

क्यों जरूरी है नालों की सफाई?

खीरी जिले के पलिया क्षेत्र में हर साल बाढ़ की समस्या सामने आती है। इस बाढ़ से हजारों एकड़ भूमि और सैकड़ों किसानों की मेहनत बर्बाद हो जाती है। खासकर गन्ना, मक्का, धान और गेहूं जैसी मुख्य फसलें पानी में डूब जाती हैं। यही कारण है कि नालों की सफाई से जल निकासी व्यवस्था बेहतर होती है और बाढ़ के प्रभाव को काफी हद तक रोका जा सकता है।

कितनी लंबाई और लागत में हो रहा है काम?

इस साल बजाज फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे सफाई अभियान के तहत लगभग 10 किलोमीटर लंबाई वाले नालों की सफाई की जा रही है। इस परियोजना में लगभग 46 लाख रुपये की लागत आने का अनुमान है।

किस गांव के किसान होंगे लाभान्वित?

इस अभियान से 14 गांवों के 1191 किसान लाभान्वित होंगे। इनमें प्रमुख गांव हैं:

  • पलिया खुर्द
  • बेहननपुरवा
  • धोविन पुरवा
  • पट्टी पतवार
  • बड़ागांव
  • अंजीर बोझ
  • ऐठपुर
  • बघुवा आदि

इन किसानों के पास कुल मिलाकर 1547 हेक्टेयर कृषि भूमि है, जिनमें से करीब 1200 हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती है। इस भूमि को हर साल बाढ़ से नुकसान होता रहा है, जिसे अब रोका जा सकेगा।

पूर्व परियोजनाओं की सफलता

बजाज फाउंडेशन ने पिछले वर्षों में भी नाले सफाई का कार्य किया है:

  • 2023: रमैया नाले की सफाई, 1920 हेक्टेयर भूमि को बाढ़ से राहत
  • 2024: मरौचा नाले की सफाई, 2025 हेक्टेयर भूमि पर असर

स्थानीय प्रशासन और कंपनी की भूमिका

यह कार्य बजाज चीनी मिल, पलिया के यूनिट हेड ओ.पी. चौहान और गन्ना महाप्रबंधक राजीव तोमर के नेतृत्व में किया जा रहा है। स्थानीय ग्राम प्रधानों की निगरानी में यह काम पारदर्शी तरीके से हो रहा है।

ओ.पी. चौहान का कहना है, “ग्रामीणों की समस्याओं को देखते हुए कंपनी ने यह पहल की है, जिससे किसानों को राहत मिलेगी और बाढ़ के समय उनकी फसलें सुरक्षित रहेंगी।”

निष्कर्ष

बजाज फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा यह कार्य न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह किसानों की आजीविका बचाने में भी अहम भूमिका निभाएगा। यदि इस तरह की पहलें नियमित रूप से की जाएं, तो आने वाले वर्षों में बाढ़ की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।