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बरेली के कमुआन चंदपुर गांव में ग्राम प्रधान पर घपले का आरोप, शिकायत करने पर हुआ हमला | धारा 307 में मुकदमा दर्ज


बरेली (उत्तर प्रदेश): बरेली जिले के भमोरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कमुआन चंदपुर गांव में ग्राम प्रधान द्वारा विकास कार्यों में घपले की शिकायत करना कुछ ग्रामीणों को भारी पड़ गया। शिकायत दर्ज कराने के कुछ ही दिनों बाद ग्राम प्रधान और उसके समर्थकों ने आरोप लगाने वाले ग्रामीणों पर जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, और अब मामला धारा 307 (हत्या के प्रयास) के तहत दर्ज किया गया है।

विकास कार्यों में भ्रष्टाचार की शिकायत

कमुआन चंदपुर गांव के ही दीपू उपाध्याय, अनुज उपाध्याय, कुलदीप उपाध्याय सहित कई ग्रामीणों ने अपने ग्राम प्रधान अखिलेश उपाध्याय के खिलाफ बरेली के जिलाधिकारी (DM) से शिकायत की थी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि ग्राम पंचायत में चल रहे विकास कार्यों में भारी अनियमितताएं और वित्तीय घपले किए गए हैं।

जिलाधिकारी द्वारा कराई गई प्रारंभिक जांच में ग्राम प्रधान को दोषी पाया गया, जिससे गांव में तनाव का माहौल बन गया।

शिकायत के बाद हमला: जानलेवा हमले की घटना

जांच रिपोर्ट के सार्वजनिक होते ही, 22 अप्रैल 2025 को दोपहर करीब 1 बजे ग्राम प्रधान अखिलेश उपाध्याय ने अपने रिश्तेदारों और समर्थकों — नरेश उपाध्याय, महेश उपाध्याय, उमेश उपाध्याय, ब्रजेश उपाध्याय आदि के साथ मिलकर शिकायतकर्ताओं पर हमला कर दिया।

हमले के शिकार बने लोग:

  • दीपू उपाध्याय
  • अनुज उपाध्याय
  • उत्तम उपाध्याय
  • संजीव उपाध्याय
  • राघव उपाध्याय
  • अचल मिश्रा

इन सभी को गंभीर चोटें आई हैं और कुछ को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मुकदमा दर्ज: IPC की धारा 307 लागू

घटना के दो दिन बाद, 24 अप्रैल 2025 को थाना भमोरा में आरोपियों के खिलाफ धारा 307 (हत्या का प्रयास) सहित कई गंभीर धाराओं में FIR दर्ज की गई। पुलिस ने प्राथमिक जांच शुरू कर दी है और पीड़ितों के बयान भी दर्ज किए जा चुके हैं।

पुलिस की कार्रवाई और गांव में तनाव

स्थानीय पुलिस ने कहा है कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है और मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी। गांव में स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन पुलिस बल तैनात कर शांति बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।

ग्राम पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार: एक बड़ी चुनौती

यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि किस प्रकार ग्राम पंचायतों में हो रहे घोटालों और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना अब भी जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे मामलों में पारदर्शिता और प्रशासनिक कार्रवाई जरूरी है, ताकि ग्रामीणों को न्याय मिल सके और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके।


निष्कर्ष:

कमुआन चंदपुर की यह घटना यह दर्शाती है कि जब तक गांव स्तर की व्यवस्थाओं में सख्त निगरानी और पारदर्शिता नहीं आएगी, तब तक ऐसे हमले और भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहेंगे। जरूरत है कि शासन प्रशासन समय रहते कार्रवाई करे और शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।