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हार्ट अटैक के बाद सिर्फ एक इंजेक्शन से बचेगा दिल, अमेरिकी वैज्ञानिकों की नई खोज से मिली उम्मीद



अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक नई इंजेक्शन थेरेपी विकसित की है, जो हार्ट अटैक के बाद दिल को डैमेज होने से रोक सकती है। जानिए कैसे काम करता है यह नया इलाज।


हार्ट अटैक के बाद दिल को बचाने वाली नई इंजेक्शन थेरेपी का हुआ सफल परीक्षण

वॉशिंगटन: दिल के मरीजों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। अमेरिका की Northwestern University और University of California San Diego के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक नई इंजेक्शन थेरेपी तैयार की है, जो हार्ट अटैक के बाद दिल को डैमेज होने से बचा सकती है।

यह थेरेपी Protein-Like Polymer (PLP) पर आधारित है, जो शरीर में जाकर दिल को नुकसान पहुंचाने वाले प्रोटीन को ब्लॉक करती है और हीलिंग प्रोटीन को सक्रिय कर देती है।


चूहों पर परीक्षण रहा सफल

इस नई थेरेपी को पहले सेल लैब में टेस्ट किया गया और फिर चूहों पर इसका असर देखा गया। वैज्ञानिकों का दावा है कि सिर्फ एक डोज इंजेक्शन देने पर:

  • दिल की सूजन कम हुई
  • कोशिकाओं की मौत घटी
  • दिल की कार्यक्षमता बढ़ी
  • नई रक्त वाहिकाएं बनना शुरू हुईं

इसका असर लगातार 5 हफ्तों तक देखा गया।


कैसे करता है यह इंजेक्शन काम?

इस थेरेपी का मुख्य लक्ष्य है शरीर के Keap1 नामक प्रोटीन को निष्क्रिय करना, जो दिल को ठीक करने वाले Nrf2 प्रोटीन को ब्लॉक कर देता है। PLP, Keap1 को पकड़ता है और Nrf2 को सक्रिय करता है, जिससे दिल की कोशिकाएं खुद को रिपेयर करना शुरू कर देती हैं।


हार्ट फेलियर रोकने में मिल सकती है सफलता

इस स्टडी को लीड करने वाले वैज्ञानिक Nathan Gianneschi और Karen Christman का कहना है कि यह तकनीक भविष्य में हार्ट फेलियर रोकने का मजबूत तरीका बन सकती है। उनका कहना है कि आज भी लाखों मरीज हार्ट अटैक के बाद धीरे-धीरे हार्ट फेलियर की ओर बढ़ते हैं, और उनके पास इलाज के सीमित विकल्प होते हैं।


भविष्य में कैंसर और न्यूरो डिजीज में भी इस्तेमाल संभव

इस टेक्नोलॉजी को Grove Biopharma कंपनी के जरिए बाजार में लाने की योजना है। वैज्ञानिकों की माने तो यह इंजेक्शन भविष्य में कैंसर और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों जैसे अल्जाइमर और पार्किंसन के इलाज में भी कारगर साबित हो सकता है।


निष्कर्ष

हालांकि अभी यह थेरेपी इंसानों पर ट्रायल के स्टेज में नहीं पहुंची है, लेकिन शुरुआती परिणाम उम्मीद जगाने वाले हैं। आने वाले वर्षों में यह दिल के मरीजों के लिए एक क्रांतिकारी इलाज बन सकता है।