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अधिशासी अभियंता महावीर सिंह एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे: लिफाफा लेकर फाइल पर हस्ताक्षर करते वीडियो वायरल


सरकारी विभागों में पारदर्शिता और ईमानदारी की उम्मीद के बीच एक बार फिर एक अधिशासी अभियंता का रिश्वत लेते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। यह मामला अधिशासी अभियंता (33 केवी वर्टिकल) महावीर सिंह से जुड़ा है, जिनका पहले भी एक ठेकेदार से रुपये लेते हुए वीडियो सामने आया था। अब एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें वह फाइल पर हस्ताक्षर से पहले एक संदिग्ध लिफाफा लेते नजर आ रहे हैं।

क्या है मामला?

17 मई को महावीर सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह एक ठेकेदार से एक लाख रुपये लेते दिख रहे थे। ठेकेदार ने सफाई दी कि वह पैसे उधार दिए गए थे और बाद में वापस भी मिल गए। बावजूद इसके, मामला तूल पकड़ गया और मुख्य अभियंता द्वारा दो सदस्यीय जांच समिति का गठन कर दिया गया।

अब सामने आया नया वीडियो

ताजा वीडियो करीब 2 मिनट 14 सेकंड का है, जो अधिशासी अभियंता के कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरे से रिकॉर्ड हुआ है। वीडियो में एक व्यक्ति अधिशासी अभियंता को एक लिफाफा देता है, जिसे वह मेज की दराज में रख लेते हैं। इसके बाद फाइल पेश की जाती है और वह कुछ सेकंड में उस पर हस्ताक्षर कर देते हैं। वीडियो में लिफाफा देने वाले व्यक्ति का चेहरा ब्लर कर दिया गया है।

वीडियो किसने वायरल किया?

यह भी स्पष्ट हो गया है कि यह वीडियो अधिशासी अभियंता के कार्यालय के किसी आंतरिक कर्मचारी ने लीक किया है। यह मामला इस ओर इशारा करता है कि भीतर ही कहीं न कहीं भ्रष्टाचार से त्रस्त कर्मचारी सच को सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

जब इस संबंध में मुख्य अभियंता ज्ञान प्रकाश से पक्ष जानने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कहा कि यह मामला अभी तक उनके संज्ञान में नहीं आया है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि संभवतः जांच समिति को जल्द ही अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

भ्रष्टाचार पर उठते सवाल

यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि कैसे सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होती जा रही हैं। खासकर जब अभियंता जैसे उच्च पदों पर बैठे अधिकारी ऐसे कृत्य करते हैं, तो आम जनता का भरोसा प्रशासन पर से उठने लगता है।


निष्कर्ष

अधिशासी अभियंता महावीर सिंह के खिलाफ पहले से ही भ्रष्टाचार की जांच चल रही थी और अब एक नया वीडियो सामने आने से मामले ने और गंभीर रूप ले लिया है। अगर समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह जनता में गलत संदेश देगा कि सरकारी सिस्टम में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।