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बरेली में समाजवादी पार्टी का ऐतिहासिक धरना: संविधान और सामाजिक न्याय के लिए जनसैलाब की हुंकार



बरेली के सेठ दामोदर स्वरूप पार्क में समाजवादी पार्टी ने संविधान, सामाजिक न्याय और साम्प्रदायिक सौहार्द की रक्षा के लिए ऐतिहासिक धरना दिया। हजारों लोगों की भागीदारी और नेताओं की हुंकार ने नया इतिहास रच दिया।


बरेली में गूंजा “संविधान बचाओ – जातिवाद मिटाओ” का नारा
बरेली में समाजवादी पार्टी ने 30 अप्रैल को सेठ दामोदर स्वरूप पार्क में एक ऐतिहासिक धरना-प्रदर्शन आयोजित किया। यह प्रदर्शन पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन को करणी सेना द्वारा दी गई जानलेवा धमकी और जाति विशेष पर की गई अपमानजनक टिप्पणियों के खिलाफ था।

धरने के मुख्य उद्देश्य थे:

  • संविधान की रक्षा
  • सामाजिक न्याय की पुनर्स्थापना
  • साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश देना
  • जातीय विद्वेष और हिंसा के खिलाफ एकजुटता दिखाना

जोशीले भाषणों ने भरा जोश: नेताओं की हुंकार
समाजवादी पार्टी के बरेली जिलाध्यक्ष शिवचरण कश्यप ने कहा,

“यह धरना केवल एक नेता के लिए नहीं, बल्कि हर उस इंसान के लिए है जो समानता, न्याय और भाईचारे में विश्वास रखता है।”

वहीं समीम खां सुल्तानी ने प्रशासन को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा,

“जातीय विद्वेष फैलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। दोषियों पर तुरंत कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।”


राज्यपाल को सौंपा गया ज्ञापन, रखीं चार अहम मांगें
धरने के समापन पर राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें निम्नलिखित माँगें की गईं:

  1. रामजी लाल सुमन को तत्काल सुरक्षा प्रदान की जाए।
  2. धमकी देने वालों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई हो।
  3. जातीय विद्वेष फैलाने वालों पर तत्काल FIR दर्ज की जाए।
  4. सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिशों पर रोक लगे।

जनता की भागीदारी ने बनाया आंदोलन को ऐतिहासिक
धरना पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा और इसमें महिलाओं, युवाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न समुदायों के हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। यह भागीदारी इस बात का प्रतीक बनी कि बरेली की जनता अब नफरत और जातिवाद की राजनीति को स्वीकार करने को तैयार नहीं।


नारे जो बने सामाजिक परिवर्तन का संदेश
धरना स्थल पर लगे नारे जैसे:

  • “संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ”
  • “जातिवाद मुर्दाबाद”
  • “नफरत नहीं, भाईचारा चाहिए”

इन नारों ने पूरे माहौल को ऊर्जावान बना दिया और सामाजिक समरसता का शक्तिशाली संदेश दिया।


निष्कर्ष: बरेली से उठा बदलाव का बिगुल
यह धरना सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि सामाजिक बदलाव की शुरुआत का प्रतीक था। समाजवादी पार्टी ने यह साबित कर दिया कि जब बात संविधान, न्याय और भाईचारे की हो, तो जनता चुप नहीं बैठती। यह आयोजन बरेली ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक प्रेरणा बन गया है।