
27 मई 2025 | बरेली समाचार
उत्तर प्रदेश सरकार ने अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की पहचान और निष्कासन के लिए सख्त कदम उठाए हैं। इसी दिशा में बरेली पुलिस ने 15 दिवसीय विशेष अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य इन नागरिकों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध आवश्यक कानूनी कार्रवाई करना है।
अभियान की शुरुआत: हर थाना क्षेत्र में विशेष टीम गठित
एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि यह अभियान शासन के निर्देश पर रविवार से शुरू किया गया है। बरेली जिले के हर थाना क्षेत्र में विशेष टीम गठित की गई है, जो सुबह-शाम क्षेत्रों का भ्रमण कर संदिग्ध नागरिकों की पहचान करेगी।
मुख्य फोकस: झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले बाहरी लोग
इस अभियान के तहत खासतौर पर बांग्ला और असमिया भाषा बोलने वाले लोगों की जांच की जा रही है जो झुग्गी-झोंपड़ियों में रहते हैं। सत्यापन के दौरान यह देखा जाएगा कि क्या कोई व्यक्ति अवैध रूप से बांग्लादेश या म्यांमार (रोहिंग्या समुदाय) से आकर बरेली में तो नहीं बस गया है।
इन दस्तावेजों की हो रही है जांच
संदिग्ध नागरिकों से निम्नलिखित दस्तावेज मांगे जा रहे हैं:
- आधार कार्ड
- राशन कार्ड
- वोटर आईडी
- पासपोर्ट
- ड्राइविंग लाइसेंस
- शस्त्र लाइसेंस
अगर किसी के पास ये दस्तावेज अवैध रूप से बनाए गए पाए गए तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
डिटेंशन सेंटर में भेजे जाएंगे अवैध नागरिक
अगर किसी व्यक्ति की पहचान अवैध बांग्लादेशी या रोहिंग्या नागरिक के रूप में होती है, तो उसे तत्काल डिटेंशन सेंटर भेजा जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार की नीति के अनुसार निष्कासन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
फिंगरप्रिंट और डाटाबेस तैयार करने के निर्देश
शासन ने निर्देश दिया है कि चिन्हित नागरिकों के फिंगरप्रिंट लेकर राज्य फिंगरप्रिंट ब्यूरो को भेजे जाएं। इसके अलावा डिजिटल डाटाबेस तैयार किया जाए ताकि भविष्य में किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर निगरानी रखी जा सके।
आजीविका के साधनों पर नजर
बरेली पुलिस यह भी देख रही है कि ऐसे कितने बाहरी लोग रिक्शा चलाने, मीट फैक्ट्री में काम करने, कूड़ा बीनने, कॉलोनियों की सफाई करने या घरेलू नौकर के रूप में कार्यरत हैं।
निष्कर्ष: बरेली में सुरक्षा व्यवस्था और जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में अहम कदम
इस अभियान से स्पष्ट है कि बरेली पुलिस और प्रशासन अवैध नागरिकों की पहचान और निष्कासन को लेकर गंभीर है। यह न केवल सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है, बल्कि जनसंख्या और संसाधनों पर बढ़ते बोझ को भी नियंत्रित करने में सहायक होगा।