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सीडीपीओ नीरज कुमार पर दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग का गंभीर आरोप, कोर्ट ने अग्रिम जमानत की अर्जी की खारिज

बरेली (उत्तर प्रदेश): एक सनसनीखेज मामले में बरेली की अदालत ने बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) नीरज कुमार की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। आरोपी पर एक सैनिक की पत्नी के साथ दुष्कर्म करने, उसकी अश्लील वीडियो और ऑडियो बनाकर ब्लैकमेल करने और वायरल करने की धमकी देने जैसे गंभीर आरोप हैं।

जन्मदिन के बहाने होटल में बुलाकर किया दुष्कर्म

पीड़िता द्वारा दी गई शिकायत के अनुसार, 7 अगस्त 2022 को आरोपी नीरज कुमार ने अपना जन्मदिन मनाने का बहाना बनाकर उसे पीलीभीत बाईपास स्थित एक होटल में बुलाया। वहां आरोपी ने पीड़िता के साथ बलात्कार किया और उसकी अश्लील वीडियो भी बना ली। इसके बाद आरोपी ने वीडियो वायरल करने की धमकी देकर 14 अगस्त और 27 अक्टूबर 2022 को भी पीड़िता को होटल बुलाकर शारीरिक शोषण किया।

वीडियो वायरल करने की धमकी देकर लगातार शोषण

पीड़िता ने बताया कि 18 नवंबर 2023 को भी नीरज ने उसे होटल में बुलाया और जबरन संबंध बनाए। जब पीड़िता ने यह बात अपने मौसेरे भाई को बताई, तो उसने भी उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। आरोप है कि नीरज और मौसेरे भाई ने मिलकर अश्लील ऑडियो-वीडियो पीड़िता के घर भेज दिए, जिससे उसका जीवन तबाह हो गया।

सीडीपीओ का शर्मनाक आचरण, कोर्ट ने जताई नाराजगी

बरेली के अपर सत्र न्यायाधीश ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी ने नीरज कुमार की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एक लोकसेवक का ऐसा आचरण बेहद शर्मनाक है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी अब तक निलंबित नहीं हुआ है, जो चिंता का विषय है। पीड़िता एक शिक्षार्थी के रूप में आरोपी से मिली थी, लेकिन उसने इस रिश्ते का नाजायज फायदा उठाया।

पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा, चार्जशीट दाखिल

पीड़िता की तहरीर पर इज्जतनगर थाने में नीरज कुमार और उसके मौसेरे भाई के खिलाफ दुष्कर्म, धमकी, आईटी एक्ट सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है।

पीड़िता और आरोपी के बीच कैसे हुई जान-पहचान?

सरकारी अधिवक्ता सुनील कुमार पांडेय के अनुसार, पीड़िता पीसीएस की तैयारी कर रही थी और उसी दौरान उसकी दोस्ती ममता नामक युवती से हुई, जो नीरज कुमार की बहन है। ममता ने ही आरोपी से पीड़िता की मुलाकात कराई थी। आरोपी बरेली के थाना बारादरी क्षेत्र के संजयनगर का निवासी है।


निष्कर्ष:

यह मामला सिर्फ एक महिला के साथ अन्याय का नहीं, बल्कि सरकारी पदों पर बैठे लोगों की जवाबदेही और नैतिकता पर भी सवाल उठाता है। न्यायालय का यह फैसला महिलाओं की सुरक्षा और न्याय की दिशा में एक सख्त संदेश है।