कृषि रक्षा विभाग में बड़ा घोटाला: तिलकधारी बाबू ने घर की तीसरी मंजिल पर चलाई फर्जी कीटनाशक दुकान, 5 साल से हो रही अवैध बिक्री!

बरेली: कृषि रक्षा विभाग में एक तिलकधारी बाबू द्वारा कीटनाशक लाइसेंसिंग प्रक्रिया में धड़ल्ले से नियमों का उल्लंघन कर अवैध दुकानें चलवाने का बड़ा घोटाला सामने आया है। शिकायतों के मुताबिक, इस अधिकारी ने रामगंगा नगर के एक आवासीय भवन की तीसरी मंजिल पर काल्पनिक दुकान दिखाकर लाइसेंस जारी किया, जबकि वहां न तो वास्तव में कोई दुकान थी और न ही कीटनाशक बाजार। इसके बावजूद, पिछले 5 साल से यहां से नगर निगम और प्राइवेट दुकानों को कीटनाशकों की खुली बिक्री हो रही है।

क्या है पूरा मामला?

  • फर्जी दस्तावेजों पर लाइसेंस: बाबूजी ने लाइसेंस नंबर 3022 जारी करते समय दुकान के पूर्व और पश्चिम में 30-30 मीटर चौड़ी सड़क दिखाई, जबकि वास्तव में वहां घनी आबादी वाला आवासीय इलाका है।
  • नियमों की धज्जियाँ: कीटनाशक दुकानों के लिए आवासीय क्षेत्र में लाइसेंस देना प्रतिबंधित है, लेकिन बाबूजी ने इसकी परवाह नहीं की।
  • अनाधिकृत बिक्री: लाइसेंस में दर्ज कंपनियों के अलावा अन्य ब्रांड्स के कीटनाशक भी बेचे जा रहे हैं, जो कानूनन अपराध है।

राजनीतिक संरक्षण में चल रहा खेल?

सूत्रों का कहना है कि यह बाबू कृषि विभाग की ड्यूटी से ज्यादा राजनीतिक गतिविधियों में व्यस्त रहता है। पिछले चुनाव में इन्होंने अपनी पत्नी के लिए जिला पंचायत सदस्य का टिकट माँगा था और बड़े पैमाने पर होर्डिंग लगवाए थे। अब यह विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं, जिसके चलते ऑफिस की ड्यूटी से ज्यादा समय राजनीतिक प्रचार में बिताते हैं।

प्रशासन ने क्या कहा?

कृषि रक्षा विभाग के अधिकारियों ने मामले की जाँच का आश्वासन दिया है। डीडी (पीपी) बरेली ने कहा – “घनी आबादी में कीटनाशक दुकान का लाइसेंस देना नियम विरुद्ध है। यदि लिखित शिकायत मिलती है, तो कार्रवाई की जाएगी।”

क्या होगा आगे?

  • क्या विभाग इस बाबू के खिलाफ ठोस कार्रवाई करेगा या फिर मामला दबा दिया जाएगा?
  • क्या ऊपरी कमाई के स्रोतों की जाँच होगी?
  • क्या राजनीतिक संरक्षण के चलते यह मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

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