
5 अप्रैल, 2025 को अमेरिका की सड़कों पर एक बार फिर हंगामा मच गया। वॉशिंगटन डीसी से लेकर मैनहट्टन और बोस्टन कॉमन तक, हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। इस विरोध प्रदर्शन को “हैंड्स ऑफ प्रोटेस्ट” नाम दिया गया, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके करीबी सहयोगी, अरबपति एलन मस्क की नीतियों के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन बन गया। विशेषज्ञ इसे 2017 के महिला मार्च और 2020 के ब्लैक लाइव्स मैटर प्रदर्शनों जितना बड़ा मान रहे हैं। आखिर क्या है इस गुस्से की वजह और इसका अमेरिका के भविष्य पर क्या असर हो सकता है? आइए जानते हैं।
प्रदर्शन की वजह: नीतियों पर गुस्सा
“हैंड्स ऑफ प्रोटेस्ट” कोई साधारण प्रदर्शन नहीं था। यह अमेरिका के 50 राज्यों में 1,200 से ज्यादा जगहों पर फैला हुआ था। प्रदर्शनकारियों के गुस्से की कई वजहें थीं:
- आप्रवासन पर सख्ती: बोस्टन में छात्रों ने विदेशी छात्रों पर छापेमारी और उनकी गिरफ्तारी-निर्वासन के खिलाफ आवाज उठाई।
- स्वास्थ्य सेवाओं में कटौती: ट्रंप प्रशासन के स्वास्थ्य कार्यक्रमों में बदलाव से लोग नाराज हैं।
- एलजीबीटीक्यू अधिकारों पर प्रतिबंध: ट्रांसजेंडर और एलजीबीटी समुदाय पर सख्त नीतियों ने आग में घी डाला।
- एलन मस्क की भूमिका: प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि मस्क को देश के संसाधनों का गलत इस्तेमाल करने की छूट दी जा रही है।
प्रदर्शनकारी बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी ने ट्रंप और मस्क को “तानाशाह” करार दिया। उनका कहना है कि ट्रंप अमेरिका को “नफरत का देश” बना रहे हैं और अगर नीतियाँ नहीं बदलीं, तो मंदी का खतरा बढ़ेगा।
हैंड्स ऑफ प्रोटेस्ट का संदेश
प्रदर्शनकारियों का नारा था—”हमें अकेला छोड़ो”। 150 से ज्यादा संगठनों—नागरिक अधिकार समूह, लेबर यूनियन, और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं—ने इस आंदोलन को समर्थन दिया। यह सिर्फ एक नीति के खिलाफ नहीं, बल्कि ट्रंप और मस्क की पूरी सोच के खिलाफ एकजुटता का प्रदर्शन था।
ट्रंप और मस्क पर सवाल
जनवरी 2025 में राष्ट्रपति पद संभालने वाले ट्रंप ने “अमेरिका फर्स्ट” का वादा किया था। लेकिन प्रदर्शनकारियों का मानना है कि उनकी नीतियाँ और मस्क का प्रभाव देश के मूल सिद्धांतों को कमजोर कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी माँगें नहीं मानी गईं, तो यह आंदोलन और तेज होगा।
ऐतिहासिक तुलना
अमेरिका में बड़े प्रदर्शन कोई नई बात नहीं हैं। 2017 का महिला मार्च और 2020 का ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन इसके उदाहरण हैं। लेकिन “हैंड्स ऑफ प्रोटेस्ट” अपनी व्यापकता और विविध मुद्दों की वजह से खास है। यह न सिर्फ ट्रंप की सरकार, बल्कि सत्ता और कॉर्पोरेट ताकत के गठजोड़ को चुनौती दे रहा है।
आगे क्या?
यह प्रदर्शन अमेरिका में बढ़ती ध्रुवीकरण की निशानी है। अगर ट्रंप प्रशासन ने इन आवाजों को नजरअंदाज किया, तो आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं। यह आंदोलन एक नए दौर की शुरुआत हो सकता है, जहाँ लोग सत्ता के खिलाफ खुलकर बोलने को तैयार हैं।
निष्कर्ष: “हैंड्स ऑफ प्रोटेस्ट” सिर्फ एक दिन का गुस्सा नहीं, बल्कि एक बड़े बदलाव की माँग है। क्या ट्रंप और मस्क इस चेतावनी को समझेंगे, या अमेरिका एक और बड़े टकराव की ओर बढ़ेगा? यह समय ही बताएगा।