बरेली का ऐतिहासिक कुतुबखाना घंटाघर फिर से चालू, शहर की धड़कनें हुईं दुरुस्त


रिपोर्ट: अजय सक्सेना (बरेली)
संपर्क: 9412527799

बरेली, 10 जुलाई 2025: शहर के हृदयस्थल कुतुबखाना चौराहे पर स्थित ऐतिहासिक घंटाघर की घड़ियाँ, जो पिछले एक साल से बंद थीं, एक बार फिर से शहरवासियों को सही समय बताने लगी हैं। 1977 से निरंतर चलने वाली यह घड़ी 10 जुलाई 2024 को अचानक रुक गई थी, जिससे शहर की जीवंतता प्रभावित हुई थी।

मात्र डेढ़ लाख रुपये में हुआ सुधार

नगर निगम बरेली की ओर से सहायक अभियंता सुशील सक्सेना के नेतृत्व में बरेली, मुरादाबाद और गाजियाबाद के विशेषज्ञों की टीम ने सरकारी मशीनों का उपयोग कर घड़ियों को मात्र 1.5 लाख रुपये की लागत में ठीक कर दिया। ध्यान देने योग्य बात यह है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट-2022 के तहत इस घंटाघर की मरम्मत पर 87 लाख रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन घड़ियाँ दोबारा खराब हो गई थीं।

स्थानीय नागरिकों की पहल और प्रशासन की प्रतिक्रिया

6 जुलाई 2025 को अजय सक्सेना (एक स्थानीय नागरिक) ने डिजिटल मीडिया के माध्यम से नगर निगम को इस समस्या से अवगत कराया था। इसके बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई कर घड़ियों को ठीक करवाया।

नगर निगम आयुक्त एवं सीईओ स्मार्ट सिटी, संजीव कुमार मौर्या ने बताया – “घंटाघर की घड़ियों में कुछ तकनीकी खामियाँ आ गई थीं, जिन्हें अब दुरुस्त कर दिया गया है। अब यह पहले की तरह सुचारू रूप से काम कर रही हैं।”

स्थानीय लोगों में खुशी

आर्य समाज गली निवासी 62 वर्षीय धर्मवीर मौर्या ने खुशी जाहिर करते हुए कहा – “यह घंटाघर हमारी पहचान है। इसके चालू होने से शहर में फिर से जान आ गई है।”

घंटाघर का ऐतिहासिक महत्व

  • 1868 में ब्रिटिश काल में यहाँ टाउन हॉल और कुतुबखाना (पुस्तकालय) हुआ करता था।
  • 1968 में बिजली गिरने से इमारत ध्वस्त हो गई, जिसके बाद 1975 में यहाँ घंटाघर बनाया गया।
  • 1977 में पहली बार घड़ी लगाई गई, जो तब से शहर का प्रतीक बन गई।

निष्कर्ष

अनिल सिंह पुंडीर ने सही कहा – “समय ना रुका है और ना ही रुकेगा, जोकि नगर निगम बरेली ने साबित कर दिखाया।” अब शहरवासियों को उम्मीद है कि नगर निगम इस ऐतिहासिक धरोहर का नियमित रखरखाव करेगा।



Social Media Journalist Help Association