उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मियों की हड़ताल पर सरकार का सख्त रुख, बिना जांच के बर्खास्तगी का रास्ता साफ


लखनऊ, 25 मई 2025:
उत्तर प्रदेश में 29 मई से प्रस्तावित बिजली कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल को लेकर सरकार ने सख्त रुख अपना लिया है। पावर कार्पोरेशन द्वारा कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2020 में बदलाव करते हुए पंचम संशोधन 2025 लागू किया गया है। इसके तहत अब आंदोलन या हड़ताल की स्थिति में कर्मचारियों को बिना जांच के बर्खास्त, पद से हटाया या पदावनत किया जा सकेगा।

नियमों में बदलाव क्यों?

संशोधित नियमावली में तर्क दिया गया है कि हड़ताल या कार्य बहिष्कार की स्थिति में बिजली आपूर्ति बाधित होती है और जांच प्रक्रिया में काफी समय लगने से समय पर कार्रवाई नहीं हो पाती। ऐसे में अब नियुक्ति प्राधिकारी या उससे वरिष्ठ अधिकारी तत्काल प्रभाव से सख्त कदम उठा सकता है।

हाईकोर्ट और एस्मा का हवाला

दिसंबर 2022 की हड़ताल का हवाला देते हुए नियमावली में उल्लेख किया गया है कि हाईकोर्ट ने बिजली आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में सख्त कार्रवाई की अनुमति दी थी। साथ ही, यदि एस्मा लागू होने के बाद कोई कर्मचारी हड़ताल करता है, संयंत्र को क्षति पहुंचाता है, या अन्य कर्मियों को उकसाता है, तो सीधे बर्खास्तगी या सेवा समाप्ति की जा सकती है।

कर्मचारी संगठनों का तीखा विरोध

बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इस फैसले को तानाशाही और अलोकतांत्रिक करार दिया है। पदाधिकारियों का कहना है कि यह शांतिपूर्ण आंदोलन के अधिकार का उल्लंघन है। संगठन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की मांग की है।

संविदा कर्मियों की भी नाराजगी

प्रदेश भर में संविदा बिजली कर्मचारी भी 72 घंटे की हड़ताल पर चले गए हैं। उनकी प्रमुख मांगों में 55 साल में सेवा समाप्ति का विरोध, ESI और बीमा सुविधाएं शामिल हैं। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि मांगे नहीं मानी गईं तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।

जनता पर असर की आशंका

गर्मी के मौसम में इस हड़ताल का सीधा असर आम जनता पर पड़ सकता है। बिजली कटौती, फॉल्ट सुधारने में देरी, और आपूर्ति बाधित होने की आशंका जताई जा रही है। सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक इंतजाम करने का निर्देश दिया है।


निष्कर्ष: समाधान की ओर बढ़ें सरकार और कर्मचारी

उत्तर प्रदेश में बिजली सेवा एक महत्वपूर्ण आधारभूत सुविधा है। सरकार और कर्मचारियों के बीच यह टकराव यदि जल्द नहीं सुलझा, तो इससे प्रदेश की जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। आवश्यक है कि दोनों पक्ष संवाद की मेज पर बैठें और समाधान निकालें।



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