गुलजार मार्केट विवाद: क्या भाजपा नेता हरीशंकर गंगवार ने बीडीए से दुकानों को गिरवाया?

बरेली के गुलजार मार्केट में बीडीए द्वारा दुकानें गिराने के आदेश पर विवाद, भाजपा नेता हरीशंकर गंगवार पर दुकानों को गिरवाने का आरोप। जानिए पूरा घटनाक्रम विस्तार से।

बरेली के प्रतिष्ठित गुलजार मार्केट को लेकर बीते कुछ दिनों से व्यापारियों और प्राधिकरण के बीच विवाद चरम पर है। व्यापारी जहां अपनी दुकानों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं बीडीए (बरेली विकास प्राधिकरण) ने मार्केट के ध्वस्तीकरण का आदेश जारी कर दिया है। इस पूरे घटनाक्रम में भाजपा नेता हरीशंकर गंगवार का नाम भी जोर-शोर से सामने आ रहा है। आइए जानते हैं इस पूरे प्रकरण की विस्तार से जानकारी।

गुलजार मार्केट विवाद की पृष्ठभूमि

गुलजार मार्केट, बरेली के आईवीआरआई (IVRI) के सामने स्थित है। यह मार्केट पिछले कई दशकों से व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। व्यापारी यहां लगभग 30 वर्षों से अपने व्यवसाय चला रहे हैं। हाल ही में यह मार्केट चर्चा में तब आया जब पता चला कि भाजपा नेता हरीशंकर गंगवार ने इस मार्केट की छह दुकानें करीब साढ़े छह करोड़ रुपए में खरीद ली हैं।

हालांकि, विवाद की जड़ यह है कि मार्केट का मानचित्र बीडीए से स्वीकृत नहीं था। बीडीए ने नियमों के तहत इस पूरी बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण का नोटिस जारी कर दिया।

व्यापारियों के आरोप

व्यापारियों का आरोप है कि:

  • भाजपा नेता हरीशंकर गंगवार ने अपनी खरीदी गई दुकानों को खुद तोड़कर वहाँ पर नया निर्माण कार्य शुरू किया।
  • इसके बाद बीडीए से उस नए निर्माण को अवैध घोषित करवा कर, पूरे मार्केट के ध्वस्तीकरण का आदेश पारित करवाया गया।
  • असली मकसद अन्य व्यापारियों पर दबाव बनाकर उन्हें दुकानें खाली करने के लिए मजबूर करना था।

व्यापारियों का कहना है कि अगर कोई निर्माण अवैध था तो सिर्फ उस हिस्से के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए थी, न कि पूरी मार्केट के खिलाफ।

बीडीए वीसी और व्यापारियों के बीच तनाव

जब बीडीए ने दुकानों को ध्वस्त करने का नोटिस जारी किया, तो उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के नेतृत्व में व्यापारी बीडीए के नए कार्यालय में पहुंचे।
वहाँ बीडीए वीसी (Vice Chairman) माणिकनंदन ए ने पहले केवल दो व्यापारियों को मिलने की अनुमति दी, जिससे व्यापारियों में नाराजगी फैल गई। विवाद बढ़ने पर व्यापारी कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए।

बाद में वीसी ने सभी व्यापारियों को अंदर बुलाया, लेकिन बैठक गरमागर्म बहस में बदल गई। बीडीए वीसी ने व्यापारियों को बाहर निकालने का आदेश दिया और स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी।

भाजपा नेता हरीशंकर गंगवार का पक्ष

हरीशंकर गंगवार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि:

“हमने गुलजार मार्केट की बिल्डिंग तीन साल पहले साढ़े छह करोड़ में खरीदी थी। नक्शा पास करवाने की कोशिश की थी लेकिन नहीं हो पाया। कंपाउंडिंग के लिए बीडीए ने तीन करोड़ रुपए मांगे थे, जो हम नहीं दे सके। इसलिए ध्वस्तीकरण का आदेश आ गया।”

गंगवार ने यह भी कहा कि ध्वस्तीकरण बीडीए का निर्णय है, इसमें उनका कोई हाथ नहीं है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

हरीशंकर गंगवार बरेली में एक सक्रिय भाजपा नेता हैं। वह भोजीपुरा क्षेत्र में एक स्कूल भी संचालित करते हैं।
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने तत्कालीन सांसद संतोष गंगवार के स्थान पर भाजपा से लोकसभा टिकट की भी दावेदारी की थी, हालांकि टिकट उन्हें नहीं मिला।

विवाद का वर्तमान स्थिति

फिलहाल, व्यापारियों ने धरना समाप्त कर दिया है, लेकिन पूरे मामले में जांच और संवाद की आवश्यकता बनी हुई है। बीडीए के आदेश और भाजपा नेता से जुड़े आरोपों ने इस मामले को और जटिल बना दिया है। व्यापारियों का कहना है कि वे अपने अधिकारों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।


निष्कर्ष

गुलजार मार्केट का यह विवाद सिर्फ एक स्थानीय स्तर की समस्या नहीं है, बल्कि इसमें राजनीति, प्राधिकरण और व्यापारिक हितों के टकराव की बड़ी तस्वीर छुपी है। यह प्रकरण एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि जब संपत्ति विवाद और सरकारी कार्यवाही में राजनैतिक हस्तक्षेप की आशंका होती है, तो आम व्यापारी कैसे अपने हक की रक्षा करें?

भविष्य में देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है — व्यापारियों को राहत मिलती है या फिर गुलजार मार्केट इतिहास बनकर रह जाती है।


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