पोप फ्रांसिस का निधन: बरेली धर्मप्रांत समेत विश्वभर में शोक की लहर

बरेली, 22 अप्रैल 2025 — विश्व के करोड़ों ईसाइयों के आध्यात्मिक मार्गदर्शक परमपावन पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में वेटिकन सिटी में निधन हो गया। उनके निधन से कैथोलिक कलीसिया समेत पूरी मानवता ने एक करुणामय, विनम्र और संवेदनशील अगुवा को खो दिया है। उनके सम्मान में बरेली धर्मप्रांत के अंतर्गत सभी संस्थान बंद रहेंगे और विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जाएगा।

जोर्ज मारियो बेर्गोलियो के रूप में अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जन्मे पोप फ्रांसिस, 2013 में पोप चुने गए। वे पहले येसु समाजी (Jesuit) और अमेरिका महाद्वीप से पोप पद पर आसीन होने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने संत फ्रांसिस ऑफ असीसी से प्रेरित होकर “फ्रांसिस” नाम चुना, जो सादगी, गरीबों की सेवा और सृष्टि संरक्षण का प्रतीक बन गया।

विश्व भ्रमण और वैश्विक मुद्दों पर मुखरता

पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल में लगभग सभी महाद्वीपों की यात्रा की और युद्ध, शरणार्थियों, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक असमानता और धर्मों के बीच सौहार्द जैसे मुद्दों पर खुलकर अपनी आवाज़ बुलंद की। उन्होंने हमेशा दया को न्याय से ऊपर, सेवा को सत्ता से ऊपर, और मेल को बहिष्कार से ऊपर रखा।

प्रेरणादायक शिक्षाएँ

उनकी प्रमुख पुस्तकों में Evangelii Gaudium, Laudato Si, और Fratelli Tutti शामिल हैं, जिनमें उन्होंने गरीबों, पृथ्वी और भाईचारे की संस्कृति पर विशेष बल दिया।

बरेली धर्मप्रांत की श्रद्धांजलि

बरेली धर्मप्रांत के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि सभी गिरजाघरों में विशेष पुण्य भोज और प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जा रहा है। विश्वासियों द्वारा उनके योगदान, सादगी और मसीह की शिक्षाओं के प्रति उनकी निष्ठा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है।

निष्कर्ष

पोप फ्रांसिस का निधन केवल कलीसिया का नहीं, बल्कि पूरी मानवता की संवेदनशील चेतना का एक बड़ा नुकसान है। वे एक ऐसे मार्गदर्शक थे, जिन्होंने करुणा और संवाद के माध्यम से दुनिया को जोड़ने का प्रयास किया।


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