लखीमपुर खीरी में जल जीवन मिशन के तहत बनी 3.5 करोड़ की पानी की टंकी फटी, भ्रष्टाचार का मामला सामने आया

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के शेखपुर गांव में जल जीवन मिशन के तहत बनाई गई 3.5 करोड़ रुपये की पानी की टंकी फटने से हड़कंप मच गया। यह घटना न केवल गांववासियों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र में सरकारी निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार के सवाल को भी उठाती है। इस घटना में खेतों और आसपास के क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ, और अब जांच के आदेश दिए गए हैं। इस ब्लॉग में हम इस घटना के विस्तृत विवरण, इससे संबंधित भ्रष्टाचार के आरोप और इसके प्रभाव पर चर्चा करेंगे।

जल जीवन मिशन: एक संक्षिप्त परिचय

जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) भारत सरकार का एक महत्वकांक्षी कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य हर घर में नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। यह मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू करता है। लखीमपुर खीरी के शेखपुर गांव में इस मिशन के तहत पानी की टंकी बनाई गई थी, लेकिन यह टंकी अपेक्षित गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को पूरा करने में विफल रही।

घटना का विवरण

लखीमपुर खीरी के शेखपुर गांव में जल जीवन मिशन के तहत एक पानी की टंकी बनाई गई थी, जिसका निर्माण कार्य अक्टूबर 2022 में शुरू हुआ था। इस टंकी की लागत 3.5 करोड़ रुपये थी और यह टंकी पांच गांवों को जलापूर्ति करने के लिए बनाई गई थी। हालांकि, यह टंकी ट्रायल के दौरान ही फट गई।

शनिवार दोपहर को टंकी का ओवरहेड हिस्सा तेज धमाके के साथ फट गया। पानी की तेज धार ने आसपास के खेतों को जलमग्न कर दिया और लोगों में भगदड़ मच गई। टंकी का पानी पास के रोशन लाल के गेहूं के खेतों में बह गया, जिससे फसल को भारी नुकसान हुआ। इसके अलावा, टंकी के मलवे ने सोलर पैनल को भी ध्वस्त कर दिया।

भ्रष्टाचार के आरोप

घटना के बाद ग्रामीणों ने निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उनका कहना था कि टंकी के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया और मानकों की अनदेखी की गई। ओवरहेड टंकी का निर्माण लोहे की चादरों से किया गया था, जो मानक के अनुसार नहीं था। इसके अलावा, कार्यदायी संस्था (BTL) पर आरोप है कि उन्होंने जल्दबाजी में टंकी का निर्माण पूरा कर लिया और उसे हैंडओवर करने का दबाव बनाया, जबकि काम अधूरा था।

ग्राम प्रधान ने इस मामले की सूचना प्रशासन को दी और आरोप लगाया कि निर्माण में गुणवत्ता से समझौता किया गया था। उन्होंने कहा कि ठेकेदार ने फंड का दुरुपयोग किया और घटिया सामग्री का उपयोग किया, जो अब इस हादसे का कारण बना।

जल निगम और प्रशासन की प्रतिक्रिया

जल निगम के अधिशाषी अभियंता वाईके नीरज ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पानी की टंकी अभी हैंडओवर नहीं की गई थी, और इसे फिर से ठीक कराने के लिए कार्यदायी संस्था को काम करना होगा। उन्होंने कहा कि टंकी के फटने की घटना की जांच की जाएगी और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

भ्रष्टाचार की ओर इशारा

यह घटना सरकारी निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार का एक उदाहरण है, जहां 3.5 करोड़ रुपये की राशि का नुकसान हुआ। यह दर्शाता है कि सरकारी योजनाओं में कभी-कभी गुणवत्ता और मानकों का पालन नहीं किया जाता, जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है। ऐसे मामलों में कार्रवाई और जांच की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके।

प्रभाव और आगे की दिशा

इस घटना से शेखपुर गांव के लोग काफी परेशान हैं। न केवल उनकी फसल खराब हुई, बल्कि वे अब यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकारी धन का सही तरीके से उपयोग किया जा रहा है। इस हादसे ने ग्रामीणों को यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या उन्हें सही और सुरक्षित जलापूर्ति मिल पाएगी।

साथ ही, यह घटना एक संकेत है कि सरकारी योजनाओं के निर्माण में पारदर्शिता और निगरानी की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण कार्यों से बचने के लिए ठेकेदारों और कार्यदायी संस्थाओं पर कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए।

Conclusion: जल जीवन मिशन के तहत बनी 3.5 करोड़ की टंकी का फटना एक गंभीर घटना है, जो न केवल सरकारी निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्यों की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण है। इस मामले की जांच होनी चाहिए, और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों और सरकारी योजनाओं का लाभ सही तरीके से जनता तक पहुंचे।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *