
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले से आई एक चौंकाने वाली खबर ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, नेपाल सीमा से सटे गांवों में रहने वाले करीब 3000 सिखों का कथित तौर पर धर्मांतरण कर उन्हें ईसाई बनाया गया। यह मामला अब केवल धर्मांतरण का नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा माना जा रहा है, जिसकी जांच प्रशासन और खुफिया एजेंसियां कर रही हैं।
कैसे हुआ खुलासा?
इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब पीलीभीत के सीमावर्ती गांवों में रह रहे सिख परिवारों के घरों पर अजीब निशान दिखाई देने लगे। स्थानीय लोगों ने प्रशासन को सूचित किया और जल्द ही यह स्पष्ट हुआ कि कुछ परिवारों ने अपने धार्मिक रीति-रिवाजों में बदलाव करना शुरू कर दिया है। इसके बाद ही पूरे इलाके में धर्मांतरण की चर्चा शुरू हुई।
किन्हें बनाया गया निशाना?
जांच में सामने आया कि धर्म परिवर्तन करने वाले अधिकतर लोग आर्थिक रूप से कमजोर और सामाजिक रूप से हाशिए पर रहने वाले हैं। इन लोगों को मुफ्त राशन, शिक्षा, इलाज और रोजगार जैसे लालच दिए गए। साथ ही उन्हें यह विश्वास दिलाया गया कि “नया मार्ग” अपनाने से उनका जीवन बेहतर हो सकता है।
नेपाल सीमा और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन
पीलीभीत की भौगोलिक स्थिति इस पूरे मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नेपाल की सीमा से सटे इन इलाकों में कुछ एनजीओ और मिशनरी संगठन कथित रूप से सक्रिय हैं। इन संगठनों पर आरोप है कि वे मानव सेवा की आड़ में धर्मांतरण जैसे कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। नेपाल में पहले से ही मिशनरियों की मजबूत पकड़ रही है, और अब भारतीय सीमा पर भी उनका प्रभाव बढ़ता जा रहा है।
प्रशासन की कार्रवाई
पीलीभीत प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है। अब तक दर्जनों संदिग्धों से पूछताछ की जा चुकी है। साथ ही यह जांच भी जारी है कि इन्हें आर्थिक सहायता कहां से मिल रही थी और किन संस्थाओं से संपर्क था। प्रभावित गांवों में काउंसलिंग कैंप भी लगाए जा रहे हैं।
सिख संगठनों की नाराजगी
इस घटना ने सिख संगठनों को बेहद आक्रोशित कर दिया है। ऑल इंडिया सिख पंजाबी वेलफेयर काउंसिल सहित कई संगठनों ने उच्चस्तरीय जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यह सिर्फ धार्मिक हमला नहीं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान पर भी हमला है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देश
उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले का संज्ञान लेते हुए सभी सीमावर्ती जिलों में सतर्कता बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि “उत्तर प्रदेश धर्म स्वतंत्रता कानून” के तहत सख्त कार्रवाई की जाए और ऐसे मामलों को बिल्कुल बर्दाश्त न किया जाए।
क्या यह राष्ट्रीय एकता को तोड़ने की साजिश है?
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है –
क्या यह केवल एक जिला विशेष का मामला है या भारत विरोधी शक्तियों द्वारा रची गई एक बड़ी साजिश का हिस्सा?
क्या ऐसे धर्मांतरण प्रयासों को राजनीतिक या विदेशी संरक्षण प्राप्त है?
इन सवालों के जवाब अभी जांच के अधीन हैं, लेकिन इतना निश्चित है कि इस तरह की घटनाएं देश की धार्मिक और सामाजिक एकता को गहरा आघात पहुंचा सकती हैं।
निष्कर्ष
पीलीभीत में सिख समुदाय के लोगों के धर्मांतरण का यह मामला हमें सतर्क करता है कि किस तरह धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर भ्रमित कर धर्म परिवर्तन कराया जा सकता है।
अब समय आ गया है कि शासन, प्रशासन और समाज मिलकर ऐसी गतिविधियों पर नज़र रखें, और यह सुनिश्चित करें कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कोई ठेस न पहुंचे।