बहेड़ी की राजनीति में भूचाल: पूर्व ब्लॉक प्रमुख चौधरी आराम सिंह और भाजपा सांसद के भतीजे दुष्यंत गंगवार के बीच तीखा विवाद

बरेली (उत्तर प्रदेश) – बहेड़ी की राजनीति इन दिनों जबरदस्त हलचल का केंद्र बनी हुई है। भाजपा के अंदरूनी गुटबाजी और आपसी मतभेद अब खुलकर सामने आ गए हैं। पूर्व ब्लॉक प्रमुख पति चौधरी आराम सिंह और भाजपा सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार के भतीजे दुष्यंत गंगवार के बीच का विवाद अब पुलिस केस तक पहुंच गया है।

कभी खास, अब बने दुश्मन

एक समय था जब चौधरी आराम सिंह, भाजपा सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार के बेहद करीबी माने जाते थे। लेकिन वक्त ने करवट बदली और अब वही आराम सिंह, सांसद और उनके भतीजे के खिलाफ खुलकर बयानबाज़ी कर रहे हैं। हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में उन्होंने दुष्यंत गंगवार को “भूमाफिया, समाज माफिया और बच्चा माफिया” तक कह डाला।

वायरल वीडियो ने मचाया राजनीतिक तूफान

17 मई को सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें चौधरी आराम सिंह ने दुष्यंत गंगवार पर गंभीर आरोप लगाए। वीडियो में उन्होंने यह तक कहा कि बहेड़ी को दुष्यंत गंगवार से मुक्त कराना ज़रूरी हो गया है। इस वीडियो ने भाजपा समर्थकों के बीच खलबली मचा दी।

एफआईआर और गंभीर आरोप

विवाद इतना बढ़ गया कि दुष्यंत गंगवार ने बहेड़ी थाने में चौधरी आराम सिंह के खिलाफ IPC की धारा 308 (2), 351 (2) और 352 के तहत एफआईआर दर्ज करवाई। एफआईआर में आरोप लगाया गया कि चौधरी ने वीडियो के ज़रिए झूठे आरोप लगाए, अभद्र भाषा का प्रयोग किया और यहां तक कि 20 लाख रुपये की रंगदारी भी मांगी।

जितिन प्रसाद के खेमे में शामिल होने की चर्चा

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि चौधरी आराम सिंह अब केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के खेमे में शामिल हो गए हैं। इससे भाजपा की आंतरिक गुटबाजी और भी गहराती नजर आ रही है। पार्टी में दो गुट स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे हैं – एक गंगवार समर्थक और दूसरा विरोधी।

बहेड़ी की राजनीति पर असर

यह विवाद न सिर्फ भाजपा की छवि को प्रभावित कर रहा है, बल्कि बहेड़ी क्षेत्र की राजनीति में भी बड़ा बदलाव ला सकता है। आने वाले चुनावों में इस टकराव का असर भाजपा के जनाधार पर भी पड़ सकता है।


निष्कर्ष:

बहेड़ी की राजनीति इन दिनों गरमाई हुई है। भाजपा के अंदर का यह टकराव आने वाले समय में और गहरा हो सकता है। चौधरी आराम सिंह और गंगवार परिवार के बीच की यह लड़ाई केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक वर्चस्व की जंग बन चुकी है।




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