बरेली में मेयर को फंसाने की साजिश: महिला ने कंधे में प्लांट कराई गोली, पुलिस ने खोला राज

बरेली में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक महिला ने मेयर उमेश गौतम और उनके बेटे पार्थ को फंसाने के लिए अपने कंधे में तमंचे की गोली प्लांट कराई। यह सनसनीखेज साजिश तब उजागर हुई, जब कोतवाली पुलिस ने मामले की गहन जांच की। आइए जानते हैं इस पूरे मामले की सच्चाई और पुलिस की कार्रवाई के बारे में।

क्या थी महिला की कहानी?

30 मार्च 2025 की रात को इज्जतनगर थाना क्षेत्र में सौफुटा रोड पर वीर सावरकर नगर कॉलोनी की एक महिला घायल हालत में गांधी उद्यान के पीछे मिली। उसने पुलिस और मीडिया को बताया कि कार सवार चार युवकों ने उसका अपहरण किया, चलती कार में उसके साथ गैंगरेप किया और गोली मारकर उसे सड़क पर फेंक दिया। महिला ने यह भी दावा किया कि हमलावरों में से एक ने मेयर के बेटे पार्थ से फोन पर बात की थी। इस कहानी ने शहर में हड़कंप मचा दिया।

हालांकि, पुलिस ने जब इसकी तह तक जाकर जांच की, तो पूरी कहानी झूठी निकली। महिला ने यह सब मेयर और उनके बेटे को बदनाम करने के लिए रचा था।

साजिश का खुलासा: तमंचे की गोली और झोलाछाप का खेल

कोतवाली पुलिस की जांच में पता चला कि महिला ने अपने कंधे में तमंचे की गोली जानबूझकर प्लांट कराई थी। इसके लिए उसने जिला अस्पताल के एक कर्मचारी से संपर्क किया, जिसने 10,000 रुपये में एक चली हुई तमंचे की गोली उपलब्ध कराई। इसके बाद संजयनगर के एक झोलाछाप ने 5,000 रुपये लेकर महिला के कंधे में चीरा लगाया और गोली प्लांट की। फिर महिला ने गांधी उद्यान के पास जाकर गोली मारने का शोर मचाया, ताकि उसकी कहानी सच लगे।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह साजिश मेयर के खिलाफ पुरानी रंजिश का नतीजा थी। 2022 में नगर निकाय चुनाव से पहले भी महिला ने मेयर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन उसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बार उसने गैंगरेप और गोलीकांड की झूठी कहानी गढ़ी।

पुलिस की कार्रवाई: तीनों आरोपी जेल जाने को तैयार

एसपी सिटी मानुष पारीक और सीओ सिटी पंकज श्रीवास्तव के नेतृत्व में कोतवाली पुलिस ने इस साजिश का पर्दाफाश किया। जिला अस्पताल के आरोपी कर्मचारी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। झोलाछाप की तलाश जारी है, जबकि महिला पहले दिन से पुलिस की निगरानी में है। पुलिस अब तीनों आरोपियों—महिला, जिला अस्पताल कर्मचारी और झोलाछाप—को जेल भेजने की तैयारी कर रही है।

बरेली में इस घटना से सबक

यह मामला न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि यह भी दिखाता है कि व्यक्तिगत रंजिश के चलते लोग किस हद तक जा सकते हैं। कोतवाली पुलिस की त्वरित और गहन जांच ने सच को सामने लाकर मेयर और उनके बेटे को झूठे आरोपों से बचा लिया। यह घटना समाज में झूठी अफवाहों और साजिशों के खिलाफ सतर्कता की जरूरत को भी उजागर करती है।

निष्कर्ष

बरेली की इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सच को छिपाया नहीं जा सकता। पुलिस की मुस्तैदी और जांच ने साजिशकर्ताओं को बेनकाब कर दिया। अब देखना यह है कि कोर्ट में इस मामले का क्या फैसला होता है। आप इस घटना के बारे में क्या सोचते हैं? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।


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