
बरेली – जीएसटी विभाग की गोपनीय जांच में बरेली समेत विभिन्न राज्यों में फर्जी फर्मों की चेन बनाकर करोड़ों रुपये का फर्जी कारोबार उजागर हुआ है। इन फर्मों के माध्यम से बिना किसी वास्तविक खरीद-बिक्री के करोड़ों की इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का गलत तरीके से लाभ उठाया गया और सरकारी राजस्व को भारी क्षति पहुंचाई गई।
राज्य कर विभाग के अपर आयुक्त ग्रेड-1 दिनेश कुमार मिश्र ने बताया कि जांच में तीन ऐसी फर्मों का पंजीयन निरस्त किया गया है जो कागजों में करोड़ों का लेनदेन दिखा रही थीं। हरियाणा की दो फर्में निलंबित की गईं। इस गोरखधंधे में करीब 9 करोड़ रुपये के राजस्व की क्षति हुई, जबकि 1.53 करोड़ की कर चोरी को रोका गया।
एमके इंटरप्राइजेज नामक फर्म, जो दीन दयाल पुरम स्थित गैलेक्सी टॉवर में पंजीकृत बताई जा रही थी, दरअसल ओडिशा निवासी एक व्यक्ति के पैन नंबर पर पंजीकृत पाई गई। फरवरी-मार्च में इस फर्म ने 47.41 करोड़ रुपये की फर्जी सप्लाई दिखाकर 9.44 करोड़ की IGST देयता दर्शाई, जिसे फर्जी ITC से समायोजित किया गया।
इसी प्रकार शर्मा इंटरप्राइजेज द्वारा केवल एक माह में दिल्ली को 94 लाख रुपये की सप्लाई दिखाई गई, जबकि खरीद का कोई ई-वे बिल प्रस्तुत नहीं किया गया। जांच में पता चला कि फर्म के नाम पर उपयोग हुए दस्तावेज असल में एक फर्नीचर मिस्त्री के थे, जिसे पंजीकरण की जानकारी ही नहीं थी।
भानु ट्रेडर्स, डिफेंस कॉलोनी, नैनीताल रोड नामक एक और फर्म ने पंजीकरण के बाद शुरुआती महीनों में जीरो रिटर्न दाखिल किए, फिर अचानक करोड़ों की सप्लाई दर्शाना शुरू कर दिया।
अधिकारियों ने बताया कि इन फर्मों के माध्यम से गैर राज्यों को ITC ट्रांसफर कर हरियाणा की संतोष सर्विसेज और विष्णु सर्विसेज जैसी फर्मों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
यह कार्रवाई जीएसटी विभाग की सतर्कता, तकनीकी निगरानी और कागजों की गहन जांच के चलते संभव हो सकी है। जांच अभी भी जारी है और अन्य फर्जी फर्मों का भी शीघ्र पर्दाफाश किया जा सकता है।