बरेली में कृषि विभाग का भ्रष्टाचार: जब रिश्वत बनी नियम, और किसानों का हक हुआ गायब


बरेली में रिश्वत की रकम के लिए कृषि विभाग के अजब-गजब कारनामे!

बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में कृषि विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल एक बार फिर खुल गई है। ढेंचा, मक्का, मसूर और धान जैसे फसलों के बीज, जो किसानों को सरकारी योजनाओं के तहत मुफ्त या रियायती दरों पर मिलने चाहिए, वह खुले बाजार में दुकानदारों को बेच दिए गए। यह काम विभाग के गोदाम प्रभारियों और बाबुओं की मिलीभगत से हुआ।

जिले में इस समय स्थिति यह है कि किसान ठगे जा रहे हैं और अधिकारी अपनी जेबें भरने में लगे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि विभाग के बड़े अधिकारियों तक भी रिश्वत का हिस्सा पहुंच चुका है, जिससे किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।


डीएओ ऋतुषा तिवारी की कार्यशैली पर सवाल

बरेली में जब से जिला कृषि अधिकारी (डीएओ) ऋतुषा तिवारी ने पदभार संभाला है, तब से विभाग में भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुंच गया है। सूत्रों के अनुसार, मैडम ने एक खास बाबू अमित कुमार वर्मा को ऊपरी कमाई के लिए रिलीव नहीं होने दिया।

गौरतलब है कि 29 जून 2024 को उनका तबादला कृषि रक्षा विभाग में हो गया था, लेकिन ऋतुषा तिवारी ने लखनऊ तक सिफारिश कर उन्हें अब तक बरेली में रोके रखा। इस पूरे प्रकरण में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि अमित कुमार वर्मा अब तक 50 लाख रुपये से ज्यादा की अवैध कमाई कर चुके हैं, जो किसानों के हिस्से की खाद और बीज को खुले बाजार में बेचकर की गई है।


रामनगर गोदाम प्रभारी यज्ञदेव शर्मा बना मोटी कमाई का केंद्र

सबसे बड़ी कमाई रामनगर बीज गोदाम के प्रभारी यज्ञदेव शर्मा ने की है। उन्होंने सरकारी बीजों को बदायूं के उझानी कस्बे में दुकानदारों को बेच दिया। किसानों को न तो मक्का मिला, न ढेंचा, न मसूर और न ही मिनी किट।

अब यही काम धान के बीज को लेकर भी शुरू हो चुका है। एक गुप्त मीटिंग में तय हुआ है कि धान के बीज भी बाजार में बेचे जाएंगे और कमीशन मैडम तक पहुंचाया जाएगा।


कार्रवाई के नाम पर सिर्फ लीपापोती

सबसे दुखद पहलू यह है कि इस खुलेआम हो रहे भ्रष्टाचार पर अब तक कोई विभागीय कार्रवाई नहीं हुई है। कारण साफ है – ऊपर तक सबको हिस्सा मिल चुका है। अब विभाग का ध्यान इस बात पर है कि कैसे जांच में अपने बाबू और गोदाम प्रभारियों को निर्दोष साबित किया जाए।


निष्कर्ष: किसानों की बर्बादी, अफसरों की चांदी

बरेली में कृषि विभाग की सच्चाई बताती है कि जब सिस्टम में ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार फैला हो, तो गरीब किसान किसे पुकारे? मुफ्त मिलने वाले बीज और खाद को लूटकर अफसर और कर्मचारी अपनी जेबें भर रहे हैं, और किसान अपने हक के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं।



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