
बरेली में परिषदीय स्कूलों के विलय के खिलाफ शिक्षक संघ और ट्रेड यूनियनों ने आंदोलन तेज कर दिया है। जानें क्यों 617 स्कूलों के बंद होने से शिक्षा व्यवस्था पर पड़ेगा गहरा असर और क्या हैं विरोध की मुख्य वजहें।
परिषदीय स्कूलों के विलय पर बरेली में भड़का विरोध
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों के विलय की नीति के खिलाफ बरेली के शिक्षक संगठनों और ट्रेड यूनियनों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया है। “शिक्षा बचाओ मोर्चा” के बैनर तले कई संगठन एकजुट हुए हैं और 4 जुलाई को बाइक रैली व 8 जुलाई को जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने की तैयारी कर रहे हैं।
क्यों हो रहा है विरोध?
1. 617 स्कूल होंगे बंद, ग्रामीण शिक्षा प्रभावित
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष नरेश गंगवार के अनुसार, इस नीति के कारण बरेली जिले के 617 प्राथमिक और जूनियर स्कूल बंद हो जाएंगे। इससे गाँव-देहात के बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा, खासकर निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए यह एक बड़ा झटका होगा।
2. शिक्षा के अधिकार (RTE) का उल्लंघन
यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटीए) के जिला अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने इसे “बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़” बताया। उनका कहना है कि सरकार का यह फैसला शिक्षा के अधिकार कानून (RTE) का सीधा उल्लंघन है और इससे दूरदराज के इलाकों में शिक्षा का संकट गहराएगा।
3. शिक्षकों पर बढ़ेगा दबाव, नौकरियाँ खतरे में
कई शिक्षक संगठनों का मानना है कि स्कूलों के विलय से शिक्षकों का तबादला और अधिक कार्यभार बढ़ेगा। साथ ही, कुछ शिक्षकों की नौकरियाँ भी खतरे में पड़ सकती हैं।
4. ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
स्कूल बंद होने से गाँवों में शिक्षा के साथ-साथ मध्याह्न भोजन योजना (MDM) और अन्य सरकारी लाभ भी प्रभावित होंगे, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ेगा।
आंदोलन की रणनीति: क्या करेंगे शिक्षक संगठन?
- 4 जुलाई: बाइक रैली निकालकर जनजागरूकता फैलाई जाएगी।
- 8 जुलाई: जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर मांगों पर ध्यान दिलाया जाएगा।
- कोर्ट में याचिका: यदि सरकार नहीं सुनती, तो कानूनी रास्ता अपनाया जाएगा।
- राज्यव्यापी आंदोलन: अन्य जिलों के शिक्षक संगठनों से भी समर्थन मांगा जाएगा।
क्या कहती है सरकार?
यूपी सरकार का दावा है कि स्कूलों का विलय संसाधनों के बेहतर उपयोग और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए किया जा रहा है। हालाँकि, शिक्षक संघ इसे “शिक्षा व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने की साजिश” मानते हैं।
निष्कर्ष: क्या होगा आगे?
बरेली का यह आंदोलन अगर राज्यव्यापी हो जाता है, तो सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। फिलहाल, शिक्षक संगठनों ने साफ कर दिया है कि वे “मांगें पूरी न होने तक संघर्ष जारी” रखेंगे।