जोगी नवादा फायरिंग कांड: आरोपियों की संपत्ति कुर्की का आदेश, 25-25 हजार का इनाम घोषित

बरेली के जोगी नवादा फायरिंग कांड ने पिछले साल सुर्खियाँ बटोरी थीं, और अब इस मामले में नया मोड़ आया है। एसएसपी अनुराग आर्य ने चार मुख्य आरोपियों—विशाल राठौर, आकाश राठौर, अभिषेक राठौर और पिंटू राठौर—की गिरफ्तारी के लिए 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। हाल ही में विशाल और आकाश ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया, लेकिन अभिषेक और पिंटू अभी भी फरार हैं। इनकी तलाश में नाकाम रहने के बाद बारादरी थाना पुलिस ने इनकी संपत्ति कुर्क करने का फैसला लिया है, जिसके लिए कोर्ट ने आदेश भी जारी कर दिया है।

क्या है जोगी नवादा फायरिंग कांड?

पिछले साल बरेली के बारादरी थाना क्षेत्र में जोगी नवादा इलाके में एक सनसनीखेज घटना हुई थी। महिला वकील रीना सिंह के पति और परिवार पर कुछ लोगों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की, जिसमें रीना के पति गंभीर रूप से घायल हो गए। उनका इलाज अभी भी जारी है। इस मामले में 11 लोग नामजद किए गए थे, जिनमें स्थानीय बीजेपी नेता के भतीजे और उत्तराखंड की एक कैबिनेट मंत्री के रिश्तेदार शामिल हैं। पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया, कुछ ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया, लेकिन चार आरोपी लंबे समय तक फरार रहे।

संपत्ति कुर्की की प्रक्रिया शुरू

बारादरी थाने के इंस्पेक्टर धनंजय पांडेय ने बताया कि फरार आरोपियों अभिषेक और पिंटू राठौर की संपत्ति कुर्क करने के लिए कोर्ट से अनुमति मिल गई है। पुलिस पहले उनके घरों पर नोटिस चस्पा करेगी और परिजनों को सूचना दी जाएगी। अगर इसके बाद भी वे हाजिर नहीं होते, तो कोर्ट के आदेश के तहत उनकी संपत्ति सीज कर दी जाएगी। पुलिस ने इनकी तलाश में उत्तराखंड तक छापेमारी की, लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं मिला।

इनाम और कानूनी कार्रवाई

एसएसपी अनुराग आर्य ने चारों आरोपियों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। विशाल और आकाश के सरेंडर के बाद अब पुलिस का पूरा ध्यान अभिषेक और पिंटू पर है। दोनों उत्तराखंड की एक मंत्री से रिश्तेदारी रखते हैं, जिसके चलते यह मामला और भी चर्चा में है। बारादरी पुलिस ने साफ किया कि कानून अपना काम करेगा और फरार आरोपियों को जल्द पकड़ा जाएगा।

आगे क्या?

जोगी नवादा फायरिंग कांड में अभी कई सवाल अनसुलझे हैं। क्या फरार आरोपी जल्द पकड़े जाएँगे? क्या संपत्ति कुर्की से मामले में नया मोड़ आएगा? पुलिस की सख्ती और कोर्ट के आदेश के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि यह हाई-प्रोफाइल केस किस दिशा में जाता है।

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