जातीय जनगणना होने पर सवर्णों के लिए अलग देश बन जाएगा-बृजभूषण शरण सिंह

बृजभूषण शरण सिंह के बयान से मचा बवाल: जातीय जनगणना, युद्ध नीति और महिला कानूनों पर उठाए सवाल

भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता बृजभूषण शरण सिंह एक बार फिर अपने विवादास्पद बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। बिहार के औरंगाबाद में दिए गए उनके बयान ने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी बहस का मुद्दा बन गया है। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा और उसके क्या मायने हैं।


1971 युद्ध और पीओके पर तीखा सवाल

बृजभूषण सिंह ने 1971 के भारत-पाक युद्ध का ज़िक्र करते हुए कहा कि जब भारत ने 62,000 पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया था, तब पाक अधिकृत कश्मीर (POK) को वापस लेने की शर्त क्यों नहीं रखी गई। उनका कहना है कि आज जो लोग युद्धविराम का विरोध कर रहे हैं, उन्हें यह सवाल उठाना चाहिए कि उस ऐतिहासिक मौके पर पीओके क्यों नहीं मांगा गया।

पीओके और 1971 युद्ध को लेकर दिए गए बृजभूषण सिंह के बयान से यह मुद्दा फिर चर्चा में है।


ऑपरेशन सिंदूर की सराहना, लेकिन युद्धविराम पर राजनीति का विरोध

सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को देश के लिए गर्व का विषय बताया और कहा कि ऐसे अभियानों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि युद्धविराम के बाद विपक्ष ‘किंतु-परंतु’ की राजनीति कर रहा है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बयानबाजी का हवाला देते हुए कहा कि बाहरी ताकतें इस मौके का फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं।


महिला उत्पीड़न और कानूनों के दुरुपयोग पर तीखा हमला

बृजभूषण सिंह ने खुद पर लगे यौन शोषण के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि दहेज, एससी/एसटी और महिला उत्पीड़न कानूनों का अब दुरुपयोग हो रहा है। उनका मानना है कि इन कानूनों को या तो समाप्त कर देना चाहिए या फिर इनका गलत इस्तेमाल रोकने के लिए सख्त व्यवस्था करनी चाहिए।


जातीय जनगणना पर भड़काऊ बयान

जातीय जनगणना को लेकर बृजभूषण सिंह ने बेहद विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि यदि जातीय जनगणना हुई तो “बम फूटेगा और सवर्ण देश से बाहर हो जाएंगे। हमारे लिए अलग देश बनेगा, हम आसमान में चले जाएंगे।” इस बयान को कई सामाजिक वर्गों ने गैर-जिम्मेदाराना बताया है।

साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें सिर्फ ‘राजपूत नेता’ कहना उन्हें अपमानजनक लगता है, क्योंकि वे सर्व समाज के नेता हैं।


निष्कर्ष:

बृजभूषण शरण सिंह के ये बयान न सिर्फ राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बने हुए हैं, बल्कि सामाजिक और कानूनी स्तर पर भी कई सवाल खड़े कर रहे हैं। जातीय जनगणना, युद्ध नीति, महिला सुरक्षा कानून जैसे मुद्दों पर उनकी टिप्पणियां आगामी दिनों में राजनीतिक गर्मी बढ़ा सकती हैं।



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