
जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा ओबीसी मोर्चा ने पूरे उत्साह के साथ जश्न मनाया। इस निर्णय को देश की सामाजिक संरचना में बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। भाजपा नेताओं का मानना है कि इससे ओबीसी, वंचित, शोषित और दबे-कुचले वर्गों को उनकी वास्तविक जनसंख्या के अनुसार भागीदारी मिलेगी।
94 साल बाद हो रही जातीय जनगणना
नवाबगंज विधायक डॉ. एमपी आर्य ने प्रेस वार्ता में कहा कि स्वतंत्र भारत में पहली बार जातीय जनगणना समाज को नई दिशा देगी। उन्होंने कहा कि पिछली बार 1931 में जातीय जनगणना हुई थी और अब 94 वर्षों बाद इसे फिर से लागू किया जा रहा है। यह निर्णय समाज के कमजोर वर्गों के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आया है।
“ओबीसी समाज चट्टान की तरह खड़ा रहेगा” – निरेंद्र राठौर
भाजपा जिला उपाध्यक्ष निरेंद्र राठौर ने कहा कि ओबीसी समाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चट्टान की तरह खड़ा है। उन्होंने कहा कि जिन दलों ने वर्षों तक केवल जातीय जनगणना की बात की, वे इसे लागू नहीं कर पाए, जबकि मोदी सरकार ने इसे धरातल पर उतार कर दिखाया है।
“सबको मिलेगी हिस्सेदारी” – राधेश्याम साहू
भाजपा ओबीसी मोर्चा के जिला अध्यक्ष राधेश्याम साहू ने कहा कि यह निर्णय ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना को साकार करता है। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना से यह सुनिश्चित होगा कि देश के हर वर्ग को उनकी संख्या के अनुपात में अधिकार और भागीदारी मिले।
कार्यक्रम में मौजूद रहे कई नेता और मीडिया
इस अवसर पर ओबीसी मोर्चा के वरिष्ठ नेता नत्थूलाल आर्य, देव पटेल, मुनेंद्र राठौर, लाल सिंह गंगवार, धर्मेंद्र श्रीवास्तव, रामपाल गंगवार, अरविंद गुप्ता, रितेश गंगवार, सुखबीर यादव, नितेश उपाध्याय सहित कई कार्यकर्ता और प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार उपस्थित रहे।
निष्कर्ष
जातीय जनगणना का यह फैसला ओबीसी और वंचित वर्गों को सशक्त करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। भाजपा ओबीसी मोर्चा द्वारा इसे ऐतिहासिक बताया जाना इस बात का संकेत है कि यह मुद्दा आगामी चुनावों में भी प्रमुख रहेगा।