
अयोध्या, उत्तर प्रदेश:
उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में बिजली विभाग ने कर्मचारी संगठन के नेता पर सख्त कार्रवाई करते हुए ₹5.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना कर्मचारियों की बर्खास्तगी के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करने पर लगाया गया है। मामला सोशल मीडिया और स्थानीय राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है।
👉 किस पर लगा जुर्माना?
यह नोटिस विद्युत मजदूर पंचायत उत्तर प्रदेश के अयोध्या इकाई के जिला अध्यक्ष जय गोविंद को भेजा गया है। जय गोविंद ने बताया कि उन्हें मुख्य अभियंता (वितरण) अशोक कुमार चौरसिया द्वारा हस्ताक्षरित एक आधिकारिक नोटिस मिला है, जिसमें ₹5.5 करोड़ का जुर्माना भरने को कहा गया है।
📄 क्यों लगा जुर्माना?
मुख्य अभियंता के मुताबिक:
- जय गोविंद ने 22 अप्रैल से 10 मई 2025 तक लगातार धरना-प्रदर्शन किया।
- प्रदर्शन के दौरान तेज आवाज वाले लाउडस्पीकरों का उपयोग हुआ।
- इससे बिजली आपूर्ति, विभागीय कामकाज और राजस्व वसूली में बाधा आई।
- इसी आधार पर उत्तर प्रदेश राजकीय विद्युत उपक्रम अधिनियम 1958 की धारा 3 के तहत जुर्माना नोटिस जारी किया गया है।
❓ मुख्य अभियंता का अजीब बयान
जब पत्रकारों ने मुख्य अभियंता से कानून की धारा के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा:
“मुझे कोई धारा या कानून नहीं पता है, मैंने सिर्फ नोटिस जारी किया है। कानून की धाराएं पुलिस और न्यायालय तय करेंगे।”
उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
🕒 30 दिन की मोहलत
नोटिस में कहा गया है कि यदि 30 दिनों के भीतर जुर्माना नहीं चुकाया गया तो यह राशि भू-राजस्व बकाये के रूप में वसूली जाएगी।
🔍 जय गोविंद ने क्या कहा?
जय गोविंद ने इस कार्रवाई को तानाशाही बताया और कहा कि:
“इतिहास में पहली बार किसी कर्मचारी नेता पर इतना बड़ा जुर्माना लगाया गया है। यह आवाज़ दबाने की कोशिश है।”
📢 सोशल मीडिया पर मचा हंगामा
बिजली कर्मचारियों और विभिन्न यूनियनों ने इस कार्रवाई की आलोचना की है और इसे संविधान विरोधी और मजदूर विरोधी बताया है। कई संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन की चेतावनी भी दी है।
✅ निष्कर्ष:
अयोध्या में श्रमिक आंदोलन पर ₹5.5 करोड़ का जुर्माना केवल एक कानूनी मामला नहीं बल्कि एक बड़ा सामाजिक और प्रशासनिक विवाद बनता जा रहा है। क्या यह फैसला कानूनी रूप से टिक पाएगा या नहीं, यह आने वाले दिनों में न्यायालय और जनता तय करेगी।